ब्रिक-आरजीसीबी के वैज्ञानिक समुदाय ने शनिवार को नोबेल पुरस्कार विजेता और अमेरिका की कोल्ड स्प्रिंग हार्बर प्रयोगशाला (सीएसएचएल) के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर जेम्स वाटसन के निधन पर शोक व्यक्त किया। वह 97 वर्ष के थे।
राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के निदेशक (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. टी आर संतोष कुमार ने अपने शोक संदेश में कहा कि वाटसन ने डीएनए की संरचना को सुलझाकर विज्ञान में सबसे महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, जिसने 20वीं सदी के उत्तरार्ध में जैव प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी। उन्होंने याद किया कि आरजीसीबी के संस्थापक निदेशक दिवंगत प्रोफेसर एम आर दास के कार्यकाल के दौरान, डॉ. वाटसन ने जनवरी 1999 में संस्थान का दौरा किया था और संकाय और छात्रों के साथ बातचीत की थी।
आरजीसीबी के बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने ‘डीएनए की संरचना की उत्कृष्ट खोज के निहितार्थ और डीएनए की भाषा से शुरू होने वाली जैविक सूचना हस्तांतरण के महत्व' पर एक सार्वजनिक व्याख्यान भी दिया था।''
वाटसन की पूर्व शोध प्रयोगशाला के अनुसार, जेम्स डी. वॉटसन का निधन हो गया है। उनके द्वारा 1953 में की गई डीएनए की मुड़ी हुई सीढ़ीनुमा संरचना की खोज ने चिकित्सा, अपराध-रोधी लड़ाई, वंशावली और नैतिकता के क्षेत्र में क्रांति लाने में मदद की थी।