विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के रूप में महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज को दुनिया भर में स्थापित कर चुका है। गंगा यमुना और अदृश्य त्रिवेणी के संगम तट पर अब धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम की सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा माघ मेला 2026 का आयोजन हो रहा है। इस बीच दंडी बाड़ा और दंडी संन्यासी-साधु को लेकर भी लोगों में उत्सुकता नजर आ रही है।
मेला प्राधिकरण ने संतों को भूमि आवंटन के क्रम में सबसे पहले बुधवार को करीब 90 बीघा जमीन का आवंटन किया। अस्थाई आश्रम ,शिविर आदि बनेंगे। दंडी बाड़ा में धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के साथ ही बाड़ा से जुड़े कल्पवासियों को भी ठहरने का स्थान मिलता है। श्रद्धालुओं के लिए भंडारा चलता है। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में उत्सुकता रहती है कि आखिर दंडी बाड़ा और दंडी संन्यासी कौन है?
संयम, साधना और त्याग का प्रतीक हैं दंडी संत
दंडी बाड़ा उन संन्यासियों और संतों का संगठन है जो हाथ में 'दंड' धारण करते हैं, जो संयम, साधना और त्याग का प्रतीक है। यह संगठन कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और दंडी संन्यासियों का प्रतिनिधित्व करता है, जो गहन तपस्या और कठोर नियमों का पालन करते हैं।