


मध्य प्रदेश में मानसून ने समय से कुछ ही दिन पूर्व ही दस्तक दे दी है और इसके साथ ही प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में झमाझम बारिश ने मौसम को सुहाना बना दिया है। भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बाद वर्षा की फुहारें जन-जीवन के लिए राहत लेकर आई हैं। परंतु इसके साथ ही कई जिलों में जलभराव, पेड़ गिरने और बिजली गिरने जैसी घटनाओं की आशंकाएं भी सामने आ रही हैं।
प्रदेश में मानसून की स्थिति
मानसून ने 17 जून 2025 को इंदौर, उज्जैन, धार, मंडसौर, और जबलपुर जैसे क्षेत्रों में प्रवेश किया। मौसम विभाग के अनुसार अब तक 54 से अधिक जिलों में बारिश दर्ज की जा चुकी है। आने वाले दिनों में इसका प्रभाव संपूर्ण राज्य में और अधिक स्पष्ट दिखाई देगा। राज्य के विभिन्न हिस्सों में येलो और ऑरेंज अलर्ट भी जारी कर दिए गए हैं।
वर्षा की मात्रा और क्षेत्रों की स्थिति
पिछले तीन-चार दिनों में इंदौर, धार, नीमच, रीवा, गूना, मंडला, दमोह, बालाघाट, कटनी जैसे जिलों में मध्यम से भारी वर्षा दर्ज की गई है। जवाद जिले में 49 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, वहीं इंदौर और उज्जैन में रुक-रुक कर बारिश और गरज-चमक का सिलसिला जारी है।
आने वाले दिनों का मौसम पूर्वानुमान
20 से 25 जून तक मध्यप्रदेश के अधिकांश भागों में तेज बारिश की संभावना है। विशेष रूप से पूर्वी और मध्य जिलों — रीवा, जबलपुर, सीधी, सतना और होशंगाबाद क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग ने अगले 96 घंटों तक तेज हवाओं, बिजली गिरने और गरज-चमक के साथ बारिश के लिए सतर्कता बरतने की सलाह दी है।
बारिश के फायदे और चुनौतियाँ
वर्षा से तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और गर्मी से राहत मिली है। किसानों के लिए यह मौसम अत्यंत अनुकूल है — खासकर खरीफ फसलों की बुआई जैसे धान, सोयाबीन और मक्का के लिए। दूसरी ओर, शहरों में जलभराव, ट्रैफिक जाम और कमजोर संरचनाओं पर खतरा मंडरा रहा है।
जनता के लिए सुझाव
1. अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें, विशेषकर जब गरज-चमक और तेज हवाएँ हों।
2. मोबाइल/इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग बारिश के दौरान खुले में न करें।
3. जलजमाव वाले क्षेत्रों से बचें, और सड़क पर गिरे पेड़ों या टूटे तारों से दूर रहें।
4. किसान भाई अभी बीज बुवाई की तैयारी में रहें; वर्षा की सही मात्रा से फसलों की पैदावार बेहतर होगी।
मध्य प्रदेश में मानसून ने समय पर और सक्रिय रूप से दस्तक दी है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत तो मिली है, लेकिन प्राकृतिक सतर्कता बनाए रखना जरूरी है। वर्षा यदि संतुलित रही तो कृषि और जल संरक्षण दोनों के लिहाज़ से यह सीजन अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।