


जिस तुर्की पर अमेरिका ने रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था, जिस तुर्की को अमेरिका ने F-35 फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट प्रोग्राम से धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था, वही अमेरिका अब F-35 को थाली में सजाकर तुर्की को सौंपने वाला है। बस, इसके लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन को इतना कहा गया था कि वो रूसी एस-400 डिफेंस सिस्टम को लात मारकर देश से बाहर निकाल दें। एर्दोगन फौरन तैयार हो गये। और पलटी मारने में उस्तार डोनाल्ड ट्रंप अब तुर्की के साथ एफ-35 लड़ाकू विमान डील करने के लिए तैयार हो सकते हैं।
तु्र्की को F-35 लड़ाकू विमान बेचने को अमेरिका तैयार!
एक्सपर्ट्स का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप काफी आसानी से इस डील के लिए तैयार हो सकते हैं। इसमें अमेरिका को आर्थिक फायदे हैं। अनादोलु एजेंसी ने कहा है कि ट्रंप और एर्दोगन अपने शीर्ष राजनयिकों को निर्देश देंगे कि वे एफ-35 अधिग्रहण को लेकर "रास्ता निकालें और इसे (प्रतिबंध) समाप्त करें और कांग्रेस एक बुद्धिमान समाधान का समर्थन करेगी"।
ट्रंप के वाइट हाउस लौटने के बाद से तुर्की-अमेरिकी रिश्तों में कुछ गर्माहट लौटी है। मार्च में हुई बातचीत के दौरान एर्दोगन और ट्रंप के बीच F-16 फाइटर जेट्स की डील को अंतिम रूप देने की भी चर्चा हुई थी। इसी कड़ी में अब तुर्की F-35 कंसोर्टियम में दोबारा शामिल होने की कोशिश कर रहा है। इस डील के पीछे एक गहरी भू-राजनीतिक रणनीति है। तुर्की, अमेरिका और रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है। एक तरफ वह रूस से मिसाइल सिस्टम लेता है, दूसरी ओर अमेरिका से F-35 जैसे विमानों की उम्मीद रखता है। यह स्थिति NATO के भीतर भी असमंजस पैदा करती है।