हर सड़क, हर पुल, हर परियोजना-जनता के जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने की हमारी संकल्पना : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि सड़कें केवल यातायात का माध्यम नहीं, बल्कि विकास, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रगति का आधार हैं। विभाग का उद्देश्य प्रत्येक निर्माण कार्य को सिर्फ एक तकनीकी परियोजना के रूप में नहीं, बल्कि जनता के जीवन स्तर को सुधारने वाले साधन के रूप में देखना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गुणवत्ता, पारदर्शिता और नवाचार के साथ प्रत्येक परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, यही प्रयास "लोक निर्माण से लोक कल्याण" की भावना को साकार करते हैं। यह निर्देश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रालय में लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान दिये।
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Ramakant Shukla
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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि सड़कें केवल यातायात का माध्यम नहीं, बल्कि विकास, रोज़गार, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रगति का आधार हैं। विभाग का उद्देश्य प्रत्येक निर्माण कार्य को सिर्फ एक तकनीकी परियोजना के रूप में नहीं, बल्कि जनता के जीवन स्तर को सुधारने वाले साधन के रूप में देखना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गुणवत्ता, पारदर्शिता और नवाचार के साथ प्रत्येक परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, यही प्रयास "लोक निर्माण से लोक कल्याण" की भावना को साकार करते हैं। यह निर्देश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रालय में लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान दिये।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विभाग द्वारा "लोक निर्माण से लोक कल्याण" की भावना को धरातल पर उतारने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि प्रदेश की आधारभूत संरचना का विकास ही जनकल्याण का आधार है और विभाग ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि हर सड़क, हर पुल, हर परियोजना जनता के जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने की हमारी संकल्पना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए कि मेट्रोपॉलिटन एरिया और समीपवर्ती क्षेत्रों में राजमार्गों का घनत्व बढ़ायें। पूरे प्रदेश को समावेशित कर समग्र विकास पर कार्य करें। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही जबलपुर और ग्वालियर को भी मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया जाएगा। शहरी, ग्रामीण एवं औद्योगिक क्षेत्रों सभी को अधोसंरचना विकास का लाभ प्राप्त हो इस आधार पर प्रस्ताव की परिकल्पना की जाये। उन्होंने कहा कि राजमार्गों का घनत्व राष्ट्रीय स्तर के समीप ले जाने के लिए विज़न डॉक्यूमेंट के आधार पर प्रस्ताव तैयार करें। प्रस्ताव में स्थानीय मांगों और सुझावों को यथोचित स्थान दिया जाये। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि अपर मुख्य सचिव क्षेत्रों के समग्र विकास अनुसार कार्ययोजना का निर्धारण करें।


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए कि शहरी विकास की इंटीग्रेटेड पॉलिसी के निर्माण में लोक निर्माण विभाग को भी शामिल किया जाये। उन्होंने कहा कि अधोसंरचना विकास में पर्यावरण समन्वय का विशेष ध्यान रखा जाये। सतत संवहनीय विकास के लिए सूरत के डायमंड पार्क की तर्ज में भवनों का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग संकल्पना पर किया जाये। बिजली और पानी की बचत सुनिश्चित की जाये। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भवन निर्माण में वास्तु-विज्ञान का ध्यान रखा जाये। ताकि सूर्य की रोशनी, हवा अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित हो और ऊर्जा की बचत की जा सके।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि एक्सप्रेस-वे आधुनिक समय की मांग है। इन अधोसंरचनाओं के विकास में ग्रामीण क्षेत्र की सुविधाओं का ध्यान रखा जाये। आवश्यकतानुसार फ्लाई-ओवर, अंडर-पास, सर्विस लेन को प्रस्ताव में शामिल करें। बैठक में बताया गया कि सिंहस्थ-2028 के कार्य प्राथमिकता से किए जा रहे हैं। प्रस्तावित कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जा चुकी है। दिसम्बर माह के अंत तक कार्य प्रारंभ हो जायेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए कि कार्यों को जून-2027 तक पूर्ण किया जाये।

बैठक में बताया गया कि लोकपथ ऐप में प्राप्त 12 हज़ार 212 शिकायतों में से 12 हज़ार 166 का निराकरण किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लोकपथ ऐप के उत्कृष्ट उपयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोकपथ ऐप में रियल टाइम सड़क की स्थिति को भी अपडेट किया जाये। साथ ही इसका प्रचार प्रसार सुनिश्चित किया जाये ताकि अधिक से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो सकें। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने बताया कि लोकपथ ऐप में आगे स्थलों के बीच की दूरी, समस्त वैकल्पिक मार्ग, पर्यटन स्थल, चिकित्सा सेवाएं, ब्लैक स्पॉट, टोल का शुल्क अन्य सुविधाओं को भी मैप किया जाएगा। यह स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ आगंतुकों के लिए भी उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि राष्ट्रीय एवं राज्य के राजमार्गों में सतत संधारण सुनिश्चित किए जाये। प्रकाश, ग्रीनरी और सावधानी मार्कर्स मानक अनुसार रहें यह भी सुनिश्चित किया जाये।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) और मध्यप्रदेश भवन विकास निगम (बीडीसी) के संचालक मंडल की बैठक हुई। एमडी एमपीआरडीसी भरत यादव ने एमपीआरडीसी के चल रहे कार्यों और भविष्य की योजनाओं की जानकारी प्रस्तुत की। इसी प्रकार एमडी बीडीसी सिवी चक्रवर्ती ने भवन विकास निगम के कार्यों और आगामी कार्ययोजना का विवरण दिया।

बैठक में प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी सुखवीर सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा किए जा रहे नवाचारों, पीएम गतिशक्ति पोर्टल के उपयोग से रोड प्लानिंग, BISAG-N के माध्यम से समय सीमा का निर्धारण और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग के कार्य किए जा रहे हैं। इसके साथ पर्यावरण से समन्वय, वृक्षारोपण, ट्री-शिफ्टिंग, लोक सरोवर, सौर ऊर्जा के कार्य भी विकास कार्यों में शामिल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पीएम गतिशक्ति के उत्कृष्ट उपयोग पर विभाग को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।


दो वर्ष की उपलब्धियाँ

दो वर्षों में मध्यप्रदेश ने 12 हजार किमी सड़क निर्माण, उन्नयन और सुदृढ़ीकरण कर अभूतपूर्व रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिससे राज्य का 77 हजार 268 किमी का सड़क नेटवर्क देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हुआ है।

वित्तीय वर्ष 2024–25 में विभाग ने 99% तक वित्तीय लक्ष्य हासिल कर समयबद्ध क्रियान्वयन और संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।

"लोक पथ" मोबाइल ऐप के माध्यम से 12,212 शिकायतों में से 12,166 शिकायतों का निवारण कर 99.6% समाधान दर प्राप्त की, जिससे विभाग की पारदर्शिता और जनसहभागिता मजबूत हुई।

जबलपुर में प्रदेश के सबसे लंबे 6.9 किमी के दमोह नाका–मदनमहल–मेडिकल रोड एलिवेटेड कॉरिडोर ,राजधानी भोपाल में डॉ. अम्बेडकर फ्लाईओवर (2.73 किमी) और 15.1 किमी लंबा श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर मार्ग जैसे बड़े शहरी कॉरिडोर के कार्य पूरे किए गए।

प्रदेश में 3 नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण पूरा कर स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूती प्रदान की गई।

136 विद्यालय भवनों का निर्माण पूरा किया गया, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उत्कृष्ट बुनियादी ढाँचा उपलब्ध हुआ।

ग्वालियर और रीवा में दो नए जिला एवं सत्र न्यायालय भवनों का निर्माण पूरा हुआ।

केंद्रीय सहायता से 421 स्वीकृत सड़कों में से 378 कार्य पूर्ण हुए और 18 पुलों का निर्माण प्रगतिरत रहा, जिससे ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की कनेक्टिविटी सुदृढ़ हुई।

पूरे प्रदेश में 506 "लोक कल्याण सरोवर" का निर्माण किया गया, जिससे सड़क निर्माण के साथ-साथ जल संरक्षण का अभिनव मॉडल स्थापित हुआ।

गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करने के लिए औचक निरीक्षण प्रणाली लागू की गई जिसमें 52 ठेकेदारों को नोटिस और 15 को ब्लैकलिस्ट किया गया, जो गुणवत्ता के प्रति शून्य सहनशीलता नीति को दर्शाता है।


विभाग ने पीएम गतिशक्ति आधारित जीआईएस मास्टर प्लान को अपनाते हुए सड़क योजना प्रक्रिया को पूर्णतः वैज्ञानिक, बहु-स्तरीय डेटा विश्लेषण पर आधारित और पारदर्शी बनाया।

लोक परियोजना प्रबंधन प्रणाली (LPMS) विकसित कर सभी परियोजनाओं—सर्वेक्षण, स्वीकृति, डीपीआर, निर्माण प्रगति और भुगतान—को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एकीकृत किया गया।

लोक निर्माण सर्वे ऐप के माध्यम से सभी सड़कों, पुलों और भवनों का जियो-मैपिंग पूरा कर विभाग के पास 100% डिजिटल एसेट इन्वेंटरी उपलब्ध हुई।

एरियल डिस्टेंस आधारित सड़क योजना की तकनीक को पहली बार लागू किया गया, जिससे एक्सप्रेसवे और कनेक्टिविटी कॉरिडोर का चयन अधिक सटीक और किफायती हुआ।

सड़क निर्माण में एफडीआर, जेट पैचर, इंफ्रारेड रिपेयर जैसी आधुनिक मरम्मत तकनीकें अपनाकर टिकाऊ, तेज़ और कम लागत वाले समाधान लागू किए गए।

जीपीएस -लॉक्ड बिटुमेन टैंकर प्रणाली और केंद्रीकृत गुणवत्ता प्रयोगशालाओं की स्थापना से सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की गई।

विभागीय भवनों में सौर ऊर्जा अपनाकर 10 भवनों में 269 kW क्षमता के प्लांट लगाए गए और 689 भवनों में 6.5 MW क्षमता की स्थापना की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

सड़क किनारे वृक्षारोपण के लिए जुलाई–अगस्त 2025 में 2.57 लाख पौधे लगाए गए, जिससे हरित आवरण बढ़ा और कार्बन फुटप्रिंट कम हुआ।

ट्री ट्रांसप्लांटेशन तकनीक अपनाकर 1271 पेड़ों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया, जिसकी 85% जीवित रहने की दर विभाग की पर्यावरणीय संवेदनशीलता दर्शाती है।

सॉफ़्टवेयर आधारित औचक निरीक्षण प्रणाली से निर्माण की निगरानी में पारदर्शिता आई और रियल-टाइम प्रमाणन मॉडल स्थापित हुआ।

आगामी तीन वर्ष की कार्ययोजना

प्रदेश में पहली बार राज्य वित्त पोषित एक्सप्रेसवे मॉडल के तहत उज्जैन–इंदौर, इंदौर–उज्जैन और भोपाल पूर्वी बायपास जैसे बड़े हाई-स्पीड कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।

उज्जैन–सिंहस्थ 2028 के लिए 52 प्रमुख कार्यों पर 12 हज़ार करोड़ रुपये व्यय कर धार्मिक पर्यटन, आस्था स्थलों और शहरी कनेक्टिविटी को सुदृढ़ किया जाएगा।

प्रदेश में 6-लेन एवं 4-लेन ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का व्यापक नेटवर्क विकसित कर औद्योगिक क्षेत्रों, कृषि मंडियों, लॉजिस्टिक ज़ोन्स और प्रमुख शहरों को तेज़ गति से जोड़ा जाएगा।

एनएचएआई के सहयोग से सतना–चित्रकूट, रीवा–सीधी, बैतूल–खंडवा–इंदौर, जबलपुर–झलमलवाड़ जैसे राष्ट्रीय महत्व के हाईवे का विस्तार किया जाएगा।

अगले तीन वर्षों में 600 नए "लोक कल्याण सरोवर" का निर्माण कर सड़क निर्माण से उत्पन्न मिट्टी का वैज्ञानिक उपयोग और जल-संरक्षण को एकीकृत मॉडल के रूप में लागू किया जाएगा।

विभागीय भवनों में 100% सौर ऊर्जा अपनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे ऊर्जा लागत में भारी कमी और हरित भवन अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा।

सड़क सुरक्षा पर केंद्रित रोडसाइड एमेनिटीज़, ब्लैकस्पॉट सुधार और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम को और मजबूत किया जाएगा।

जीआईएस आधारित रोड मास्टर प्लान को पूर्ण रूप से लागू कर भविष्य की सड़क परियोजनाओं का चयन वैज्ञानिक विश्लेषण, यात्रा दूरी, औद्योगिक आवश्यकताओं और यातायात घनत्व के आधार पर किया जाएगा।

निर्माण कार्यों की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली को और सख्त किया जाएगा, जिसमें मोबाइल लैब, त्वरित परीक्षण, AI आधारित रिपोर्टिंग और डिजिटल मॉनिटरिंग शामिल होगी।

शहरी क्षेत्रों में नए आरओबी,फ्लाईओवर, बायपास और स्मार्ट कॉरिडोर विकसित कर शहरों के ट्रैफिक प्रेशर को कम करने और कम्यूटिंग समय घटाने का लक्ष्य निर्धारित है।

अगले तीन वर्षों में पूरी विभागीय एसेट इन्वेंटरी को 100% डिजिटल, जियो-रेफरेंस्ड और ऑटो-अपडेटिंग सिस्टम में परिवर्तित किया जाएगा, जिससे योजना, बजट निर्धारण और फील्ड मॉनिटरिंग अधिक प्रभावी होगी।


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