क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। ईसाई धर्म का सबसे पवित्र और प्रिय त्योहार है। इसे प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि शांति, प्रेम और एकता का प्रतीक भी है। क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा इसे और भी खास बनाती है। यह परंपरा जीवन में आशा और आनंद का संदेश देती है।
क्रिसमस का महत्व
यीशु मसीह का जन्म मानवता को पापों से मुक्ति दिलाने, प्रेम, दया और सहनशीलता का संदेश देने के लिए हुआ था। माना जाता है कि उनका जन्म एक गुफा में हुआ था, जहां गड़रियों ने उनके जन्म की सूचना सभी को दी थी। ईसाई मान्यताओं के अनुसार, यीशु मसीह ईश्वर के पुत्र हैं और उनका जीवन मानवता के कल्याण के लिए समर्पित था। क्रिसमस का उद्देश्य उनकी शिक्षाओं को याद करना और उन्हें अपने जीवन में उतारना है।
क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा
क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा का इतिहास 16वीं शताब्दी से जुड़ा है। यह परंपरा जर्मनी में शुरू हुई, जहां लोग सर्दियों में अपने घरों में सदाबहार पेड़ लाकर सजाते थे। यह पेड़ सर्दियों में भी हरा-भरा रहता है, जो जीवन, आशा और ईश्वर के अनंत प्रेम का प्रतीक है। सर्दियों के दौरान यह परंपरा पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गई।
क्रिसमस ट्री के प्रतीकात्मक महत्व
तारे और रोशनी: क्रिसमस पर लगने वाले सितारे प्रकाश के प्रतीक माने जाते हैं जो कि आपके जीवन से अंधेरे को दूर करते हैं एवं जीवन में उत्साह और उमंग का संचार करते हैं। ट्री पर लगाई जाने वाली रोशनी ईश्वर के प्रकाश का प्रतीक है, जो हर कठिनाई में मार्गदर्शन करता है
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