चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा हनुमान जन्मोत्सव के दिन भक्त निर्मल मन से राम भक्त हनुमान को हृदय में धारण कर असीम ऊर्जा का अनुभव करते हैं। सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी ने वानर रूप में जो-जो पराक्रम किया, वह सब मानव के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। हनुमान जी की अद्भुत शक्ति, पराक्रम, बल, ऊर्जा के आगे विज्ञान के विद्यार्थी के मन में आस्था और विज्ञान दोनों एक साथ टकराने लगते हैं। विज्ञान परीक्षण योग्य अनुभवजन्म साक्ष्य और अवलोकन पर निर्भर करता है। अध्यात्म विश्वास पर निर्भर है। अध्यात्म हमें वैज्ञानिक तरीके से सोचने का सामर्थ्य देता है।
हनुमान जी की शक्तियों का वैज्ञानिक रहस्य
हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां एवं नवनिधियां सचमुच एक ऐसा रहस्य है जो अपने आप में वैज्ञानिकता को समेटे हुए है। हनुमान जी के पास अधिकांश देवों की संयुक्त दिव्य शक्तियां एवं वरदान हैं। सृष्टि के निर्माण में जिस दिव्य तत्व का प्रयोग देवताओं द्वारा किया गया, उसे शास्त्रों में ‘अन्तरिक्ष धूलिमेघ‘ के नाम से जाना गया है, जिसे आधुनिक वैज्ञानिक ‘कॉस्मिक डस्ट’ के नाम से जानते हैं। वेद जिसे अखिल ब्रह्माण्ड की आत्मा शक्ति मानते हैं, उसे ही वर्तमान में वैज्ञानिक ‘सुप्रीम स्प्रिट’ के नाम से जानते हैं। सुप्रीम स्प्रिट हनुमान जी अजर-अमर हैं।
अखिल ब्रहमाण्ड उर्जा से आज भी जुड़े हैं हनुमान
हनुमान जी की उर्जा का सारा सार इस बात में समाया हुआ है कि उन्होंने स्वयं की समस्त उर्जा को अखिल ब्रहमाण्ड की उर्जा से जोड़ दिया। विज्ञान अनुसार ब्रह्माण्ड में जो उर्जा व्याप्त है, वह अगाध है, अक्षय है, इसलिए अनादिकाल से भक्त सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा-आराधना करते हैं ताकि हनुमान जी की इसी अगाध-अक्षय उर्जा के अंश मात्र से तारतम्य बनाकर अपना कल्याण कर सकें।
पवनपुत्र, केसरीनंदन, शंकरसुवन हनुमान
हनुमान जी को पवनपुत्र, केसरीनंदन और शंकर सुवन कहा जाता है। हनुमान जी रूद्र के अंश हैं, वह रूद्र जो समस्त ब्रह्माण्ड का अन्त और लय करते हैं। महादेव की समस्त विभूतियां हनुमान जी की अनुगामिनी हैं।
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