हिंदू धर्म में खरमास का खास महत्व माना जाता है। यह वर्ष में 2 बार आते हैं। जब तक खरमास जारी रहता है, तब तक किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। इस साल के दूसरे खरमास 15 दिसंबर से शुरू हो रहे हैं। संयोग से इस दिन धनु संक्रांति भी है। करीब एक महीने बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर खरमास का समापन होगा। इस दौरान गृह प्रवेश, नए वाहन की खरीद, बिजनेस, शादी-विवाह समेत किसी भी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
भाग्य बुलंदी पर पहुंच जाता है
धार्मिक विद्वानों के अनुसार, देव गुरू बृहस्पति को भाग्य चमकाने वाला ग्रह माना जाता है। जब बृहस्पति मजबूत स्थिति में होते हैं, तो जातकों का भाग्य बुलंदी पर पहुंच जाता है। वहीं जब बृहस्पति की शक्तियां कमजोर होती हैं तो किसी भी कार्य का शुभ फल नहीं मिल पाता और और अशुभ परिणाम मिलते हैं। चूंकि खरमास के दौरान सूर्य देव, बृहस्पति की राशि धनु या मीन में रहते हैं तो इससे गुरू की शक्तियां कम हो जाती हैं। जिसके चलते शुभ कार्यों का फल नहीं मिलता है। यही वजह है इस अवधि में शुभ कार्य करने से परहेज किया जाता है।
खरमास के दौरान क्या करें?
इस माह के दौरान नियमित रूप से तुलसी पर जल अर्पित करना चाहिए अपने आसपास जरूरतमंद और गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए। रविवार, गुरुवार को व्रत रखें और भगवान विष्णु व सूर्य देव की पूजा करें। इस दौरान अपना समय भजन-कीर्तन में लगाना चाहिए। रोजाना शाम के समय घर के मंदिर में दीपक जलाना चाहिए। ग्रहों की शांति के लिए आप मंत्र जाप भी कर सकते हैं।
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