भारत में शनि देव के कई मंदिर है लेकिन आज हम आपको एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है। जो कि मथुरा में स्थित है। मथुरा के पास कोसीकलां में प्रसिद्ध शनि देव मंदिर स्थित है। जिसे कोकिलावन धाम कहा जाता है। ये मंदिर घने जंगलों में स्थित है। यही कारण है कि इसका नाम कोकिलावन है। ये शनि देव और उनके गुरु बरखंडी बाबा का बेहद प्राचीन मंदिर है। पूरे भारत से श्रद्धालु यहां पूजा करने आते हैं। माना जाता है कि यहां परिक्रमा करने से सारी मनाकामनाएं पूरी हो जाती है। इस मंदिर के बारे में प्राचीन मान्यता है कि शनिदेव के रुप में भगवान श्री कृष्ण विद्यमान रहते है।
कोयल के रुप में दर्शन
कोकिलावन तीर्थस्थल मथुरा शहर के नंदगांव में स्थित है। यहां शनिदेव का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। माना जाता है कि शनि देव ने भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने शनि देव को कोयल रुप में दर्शन दिए थे। इसलिए इस स्थान को कोकिलावन नाम से भी जाना जाता है।
शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त
द्वापरयुग में शनिदेव ने भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने शनिदेव को कोयल के रुप में दर्शन दिये। श्रीकृष्ण ने कहा था कि नंदगाव से लगा हुआ कोकिलावन उनका वन है। जो व्यक्ति शनिदेव की पूजा करता है और इस वन की परिक्रमा करता है उसे मेरी और शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यहीं वजह है कि कोकिलावन के शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त है। कोकिला धाम में श्री शनिदेव मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर, श्री देवबिहारी मंदिर प्रमुख है। मंदिरों के अलावा यहां दो प्राचीन झीलें और गौ शालाएं है।
यहां आने से पूरी होती है मनोकामना
माना जाता है कि यहां आने वाले सभी लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। इसी उम्मीद के साथ यहां शनिवार के दिन दूर-दूर से सैकड़ों भक्त अपनी फरियाद लेकर आते हैं। और अपनी झोली भरकर जाते है। श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव के दर्शन करते हैं, फिर कोकिलाधाम की सवा कोसीय परिक्रमा करते हैं। उसके बाद सूर्यकुंड में स्नान कर शनिदेव की प्रतिमा पर तेल आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं।
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