आमलकी एकादशी, जिसे आंवला एकादशी भी कहा जाता है, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस बार एकादशी 9 मार्च को प्रारंभ होगी और 10 मार्च को समाप्त होगी। इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें और आंवले के वृक्ष की पूजा करें। गंगाजल, पुष्प, दीपक और प्रसाद अर्पित करें. भगवान विष्णु की आराधना करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करें और द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें। आंवला एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और दान-पुण्य करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
आंवला एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में वैद्यनाथ नामक नगर के राजा चित्ररथ धर्मात्मा और भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उनके राज्य में सभी लोग धार्मिक और सत्यवादी थे। एक बार फाल्गुन शुक्ल एकादशी पर राजा और प्रजा ने आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा की और रात्रि जागरण किया। उसी वन में एक क्रूर शिकारी भूखा-प्यासा घूम रहा था. जब उसने भजन-कीर्तन सुना, तो वहीं रुक गया और पूरी रात जागता रहा। मरने के बाद शिकारी को अगले जन्म में विद्याधर नामक ज्ञानी और सुंदर पुरुष के रूप में जन्म मिला और उसे मोक्ष प्राप्त हुआ। इस कथा से यह सिद्ध होता है कि आंवला एकादशी का व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
आंवला एकादशी का महत्व
- इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है।
- यह व्रत सभी पापों का नाश करता है और मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है।
- आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
- इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
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