हिंदू धर्म में एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित की गई है. साल में 24 एकदाशी तिथियां पड़ती हैं. चैत्र माह में पापमोचनी एकादशी पड़ती है. ये एकादशी बहुत ही विशेष मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु का व्रत और पूजन किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करने से सभी पापों का नाश हो जाता है. इस साल पापमोचनी एकादशी का व्रत कल रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी तिथि कल यानी 25 मार्च को सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं इस तिथि का समापन 26 मार्च को सुबह 3 बजकर 45 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, पापमोचिनी एकादशी का व्रत कल ही रखा जाएगा.
पूजा विधि
पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए. फिर पूजा स्थल की सफाई करनी चाहिए. इसके बाद एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाना चाहिए. उस पर भगवान शिव की प्रतीमा या तस्वीर रखनी चाहिए. इसके बाद षोडशोपचार विधि से भगवान का पूजन करना चाहिए. पूजन के समय भगवान को चंदन और फल आदि चीजें अर्पित करनी चाहिए. उनके समक्ष धूप और दीपक जलाना चाहिए. भगवान को धनिया की पंजीरी, फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना चाहिए. पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा, भगवद गीता, और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. अंत में आरती करके पूजा का समापन करना चाहिए. इस दिन दान करना चाहिए. पूरा दिन व्रत करना चाहिए. अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए.
क्या करें क्या नहीं
इस व्रत में शुद्ध और सात्विक आचरण अपनाना चाहिए. इस दिन रात को रात को जागरण कर भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए. वहीं एकादशी के दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए. इस दिन किसी को भी दुख नही पहुंचाना चाहिए. एकादशी के दिन क्रोध से बचना और शांत रहना चाहिए. इस दिन दिन में सोना नहीं चाहिए.
पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में पापमोचिनी एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है. इस व्रत को करने से जीवन के सारे पापों का नाश तो होता ही है. साथ ही मरने के बाद मोक्ष और वैकुंठ धाम में श्री हरि के चरणों में जगह मिलती है. इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. भगवान विष्णु कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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