शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी चाल से चलने वाले ग्रह हैं। इस कारण से इनका ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व होता है। शनिदेव न्याय और कर्मफलदाता है। यह व्यक्तियों को उनके द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर ही शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं। इस तरह से एक राशिचक्र को पूरा करने के लिए शनि को करीब ढाई वर्ष का समय लग जाता है। शनि को क्रूर ग्रह माना गया है और इनकी जब भी राशियों पर साढ़ेसाती या ढैय्या लगती है तो व्यक्ति के जीवन में काफी उथल-पुथल रहती है। लेकिन शनि हमेशा बुरे ही फल नहीं देते हैं बल्कि जब शनि कुंडली में कुछ ऐसे भाव में रहते हैं तो शुभ फल भी प्रदान करते हैं।
लाभ भाव में शनि
कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं जिनका अपना महत्व होता है। कुंडली के ग्यारहवें भाव को लाभ स्थान कहा जाता है। लाभ स्थान से व्यक्ति की आय और इच्छापूर्ति का विचार किया जाता है। इस भाव में शनि का होना बहुत ही शुभ माना जाता है। जब शनि लाभ भाव में विराजमान होते हैं तो व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करने सफलता मिलती है। इस स्थान पर शनि व्यक्ति की आय को बढ़ाने का काम करते हैं। इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है। व्यक्ति सही रास्ते से अपनी हर एक इच्छा को पूरा करता है।
दशम भाव में शनि
कुंडली का दशम भाव केंद्र का भाव होता है जिसे बहुत ही शुभ स्थान माना जाता है। कुंडली के दशम भाव में शनि के विराजमान होने पर व्यक्ति के मान-सम्मान, करियर और पद-प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी होती है। ऐसा व्यक्ति अपने क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता रखता है और साहस से बड़ी-बड़ी सफलताएं प्राप्त करता है। इस तरह के व्यक्ति अपने उच्च अधिकारियों से मजबूत संबंध स्थापित करते हैं और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।
सप्तम भाव में शनि
कुंडली का सप्तम भाव सबसे महत्वपूर्ण भाव में से एक होता है। शनि के कुंडली के सातवें भाव में होने को बहुत ही शुभ माना जाता है। शनि के सप्तम भाव में होने पर व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में खुशियां और स्थिरता आती है। इसके आलावा ऐसा जातक व्यापार में खूब लाभ प्राप्त करता है। व्यक्ति साझेदारी में अच्छा लाभ प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्तियों को भाग्य का पूरा साथ मिलता है।
चतुर्थ भाव में शनि
कुंडली के चौथे भाव से माता, वाहन, संपत्ति और सुख का विचार किया जाता है। कुंडली का यह भाव केंद्र होने के नाते शुभ स्थानों में गिना जाता है। जब शनिदेव इस भाव में विराजमान होते हैं तो व्यक्ति को हर तरह की सुख-सुविधाओं का लाभ होता है। शनि के इस भाव में होने पर व्यक्ति स्थायी संपत्ति का मालिक होता है। व्यक्ति अपने जीवन में खूब तरक्की करता है। व्यक्ति को भाग्य का भरपूर साथ मिलता है जिससे नौकरी, धन, विवाह और संतान का सुख हासिल होता है। इस भाव में शनि के होने पर व्यक्ति गुणी होता है।
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