हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है। आज पितृपक्ष का छठवा दिन है। आज 12 सितंबर को पितृपक्ष का छठा श्राद्ध किया जाएगा।
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है। आज पितृपक्ष का छठवा दिन है। आज 12 सितंबर को पितृपक्ष का छठा श्राद्ध किया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष की छठी तिथि को उन पितृरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु षष्ठी तिथि पर हुई हो। इस दिन शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों ही पक्षों की षष्ठी तिथि का श्राद्ध किया जा सकता है। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए. श्राद्ध के अन्त में तर्पण किया जाता है।
श्राद्ध पूजन विधि-
षष्ठी श्राद्ध शुक्रवार 12 सितंबर, 2025 को है। इस दिन श्राद्ध करने का मुहूर्त-
- कुतुप मुहूर्त -सुबह 11 बजकर 52 मिनट से से लेकर 12 बजकर 42 इसकी अवधि – 50 मिनट्स रहेगी।
- रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 42 से दोपहर 01 बजकर 32 इसकी अवधि -50 मिनट्स रहेगी।
- अपराह्न काल -दोपहर 01:32 से शाम 04:01 रहेगी। अवधि – 02 घण्टे 29 मिनट्स रहेगी।
पितृपक्ष श्राद्ध की पूजन विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और हल्के रंग के कपड़े पहने।
- पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और दीप प्रज्वलित करें।
- एक चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाएं और उस पर पूर्वजों के नाम से तिलक लगाएं।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- काले तिल, जौ, कुशा और जल से तर्पण करें।
- तर्पण के दौरान ॐ पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें।
- चावल, दूध, और तिल से बने पिंड (पिंड दान) तैयार करें और उन्हें पितरों को अर्पित करें।
- पितरों के नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए जल, तिल, और फूल अर्पित करें।
- तुलसी, तांबे के बर्तन, गाय को हरा चारा देना शुभ माना जाता है।
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