हिंदू धर्म से होलाष्टक से होली पर्व की शुरुआत मानी जाती है, होलाष्टक न केवल होली की तैयारियों का समय है, बल्कि इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस साल होलाष्टक का 7 मार्च 2025 दिन शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं और इसका समापन 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार को होलिका दहन के साथ होगा। ऐसी मान्यता है कि होलाष्टक के 8 दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक के आठ दिनों में भले ही शुभ कार्य न किए जाते हों लेकिन इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के पावन धाम पर यानि ब्रजमंडल में फूल, रंग, अबीर आदि से बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।
शुभ क्यों नहीं माने जाते ये 8 दिन
हिंदू धर्म से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी। इसके कारण वे रुष्ट हो गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। इसके बाद जब कामदेव की पत्नि ने भगवान शिव से प्रार्थना की तो उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवन प्रदान कर दिया। मान्यता यह भी है कि राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को विष्णु जी की अराधना करने से के लिए उस इन आठ दिनों में कठिन यातनाएं दी थीं। जिसके आठवें दिन, जब होलिका उसे आग में लेकर बैठी तो भी वह नहीं जला। वहीं, होलिका जिसे आग से नहीं जलने का वरदान प्राप्त था, वह जल गई। यही कारण है कि भगवान के भक्त प्रहलाद के इन आठ कठिनाई भरे दिनों को अशुभ माना जाता है।
भूल कर भी न करें ये काम
होलाष्टक के आठ दिनों को बेहद अशुभ मानते हुए इसमें मुंडन, सगाई जैसे मांगलिक कार्य बिल्कुल नहीं किए जाते हैं। इसी प्रकार इन आठ दिनों में न तो कोई व्यवसाय शुरू किया जाता है और न ही किसी करियर की शुरुआत की जाती है। होलाष्टक के आठ दिनों में नया वाहन आदि खरीदना भी अशुभ माना गया है।
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