एस्टेरॉयड 2024 YR4 सात साल बाद यानी 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है। चीन ने क्षुद्रग्रहों से बचाव के लिए नई टीम बनाने की घोषणा की है। ताकि 2032 में इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना का सटीक अनुमान लगाया जा सके। चीन ने अतंरिक्ष में रिसर्च बढ़ाई है।
एस्टेरॉयड 2024 YR4 ने दुनियाभर के एक्सपर्ट की चिंता को बढ़ा दिया है। इस एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) के साल 2032 में पृथ्वी और चांद से टकराने की संभावना है। इसमें सबसे ज्यादा फिक्र की बात ये है कि वैज्ञानिकों ने पहले इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना 1.3 फीसदी कही थी लेकिन अब एक्सपर्ट एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टक्कर की संभावना 2.3 फीसदी मान रहे हैं। इसे देखते हुए चीन ने क्षुद्रग्रहों से पृथ्वी की रक्षा के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। चीन ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है, जो अंतरिक्ष से आने वाले खतरों से निपटने के लिए काम करेगी और पृथ्वी को सुरक्षित करने के रास्ते तलाशेगी।
एस्टेरॉयड 2024 YR4 की पृथ्वी से टक्कर की संभावना बहुत कम है लेकिन खतरा बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया तो बड़ी तबाही हो सकती है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां इसे लेकर सतर्क हैं। चीन ने इन खतरों को समझते हुए क्षुद्रग्रहों की निगरानी और चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई है। चीन क्षुद्रग्रहों की दिशा बदलने वाली तकनीक भी विकसित कर रहा है।
चीन का एस्टेरॉयड नेटवर्क
चीन इंटरनेशनल एस्टेरॉयड वॉर्निंग नेटवर्क और अंतरिक्ष मिशन योजना सलाहकार समूह में शामिल होकर दुनियाभर में क्षुद्रग्रहों से बचाव के प्रयासों में भी शामिल है। इस सहयोग से डेटा साझा किया जा सकेगा और क्षुद्रग्रहों की दिशा बदलने वाले मिशनों की संयुक्त योजना बनाई जा सकेगी। चीन के अलावा अमेरिकी एजेंसी नासा भी इस पर काम कर रही है। दोनों ही 2024 YR4 पर मिलने वाले नए डेटा के आधार पर अपने क्षुद्रग्रह प्रभाव पूर्वानुमानों को बेहतर बना रहे हैं।
एस्टेरॉयड से कितना खतरा
पृथ्वी और चांद के लिए खतरे का सबब बन रहे इस क्षुद्रग्रह का नाम 2024 YR4 है। इसका साइज 40 से 90 मीटर के बीच है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह एस्टेरॉयड अगर पृथ्वी से टकराता है और किसी आबादी वाले इलाके में गिरता है तो इससे गंभीर नुकसान होगा। हालांकि संभावना है कि YR4 समुद्र या धरती के किसी दूरस्थ भाग में गिरेगा। इस समय यह पृथ्वी से बहुत दूर है। अभी ये तय करना मुश्किल है कि टकराव की स्थिति में इससे क्या प्रभाव होगा।
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