चीन ने ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। देश में दुनिया की पहली व्यावसायिक सुपरक्रिटिकल CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड) पावर जेनरेशन यूनिट- Super Carbon-1 पावर प्लांट सफलतापूर्वक संचालित हो गई है, जो अब औद्योगिक अपशिष्ट गर्मी से बिजली पैदा कर रही है।
चीन ने ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। देश में दुनिया की पहली व्यावसायिक सुपरक्रिटिकल CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड) पावर जेनरेशन यूनिट- Super Carbon-1 पावर प्लांट सफलतापूर्वक संचालित हो गई है, जो अब औद्योगिक अपशिष्ट गर्मी से बिजली पैदा कर रही है। इस प्रोजेक्ट ने प्रयोगशाला को पार कर व्यावसायिक स्तर पर CO₂ आधारित ऊर्जा उत्पादन को संभव कर दिया है, जिससे भविष्य के कम-कार्बन ऊर्जा समाधान की दिशा में बड़ा बदलाव आएगा।
क्या है सुपरक्रिटिकल CO₂ तकनीक?
Super Carbon-1 तकनीक में परंपरागत भाप (steam) की जगह CO₂ को सुपरक्रिटिकल अवस्था में लाकर तापीय ऊर्जा को बिजली में बदला जाता है। सुपरक्रिटिकल अवस्था में CO₂ न तो पूरी तरह गैस जैसा होता है और न तरल जैसा, जिससे यह ऊर्जा संचरण और ताप विनिमय के लिए अत्यंत कुशल माध्यम बन जाता है।यह तकनीक औद्योगिक अपशिष्ट गर्मी का उपयोग करती है जैसे स्टील संयंत्रों से निकलने वाली गर्म गैसें और इसे बिजली में बदल देती है।
तकनीकी और आर्थिक लाभ
पारंपरिक भाप-आधारित प्रणालियों के मुकाबले CO₂ प्रणाली कम ऊर्जा नुकसान के साथ अधिक बिजली उत्पन्न करती है। Super Carbon-1 जैसे सिस्टम में कम्पोनेंट्स की संख्या कम होती है, जिससे रख-रखाव आसान होता है। यह तकनीक विशेष रूप से भारी उद्योगों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि इनके पास पहले से मौजूद गर्मी स्रोत होते हैं। बिजली उत्पादन से अतिरिक्त राजस्व भी प्राप्त होने की उम्मीद है, जिससे परियोजना की लागत-लाभ स्थिति मजबूत होती है।
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