अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद पर रास्ता भटकना अब आसान नहीं होगा।
अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद पर रास्ता भटकना अब आसान नहीं होगा। नासा ने पहली बार चंद्रमा पर जीपीएस का इस्तेमाल किया है, जिससे अंतरिक्ष यात्री अपनी स्थिति का सटीक पता लगा सकेंगे।
जीपीएस सिग्नल क्या हैं?
जीपीएस सिग्नल रेडियो वेव्स का इस्तेमाल करके स्थिति, नेविगेशन और समय के बारे में जानकारी ट्रांसफर करते हैं। ये सिग्नल पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट द्वारा प्रसारित किए जाते हैं।
लूग्रे चंद्रमा पर कैसे पहुंचा?
लूग्रे को फायरफ्लाई एयरोस्पेस के ब्लू घोस्ट चंद्र लैंडर पर चंद्रमा पर ले जाया गया। लैंडिंग के तुरंत बाद, लूग्रे पेलोड ऑपरेटरों ने चंद्र सतह पर अपना पहला विज्ञान ऑपरेशन शुरू किया।
कैसे पता चलेगी लोकेशन?
नासा ने कहा कि इन रिजल्ट का अर्थ यह है कि आर्टेमिस मिशन इन संकेतों से लाभ उठा सकते हैं, जिससे वे अपनी स्थिति, गति और समय का सटीक पता लगा सकते हैं।
लूग्रे का महत्व
लूग्रे चांद पर विकसित किया गया पहला इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी का हार्डवेयर है, जो संगठन के लिए एक मील का पत्थर है। यह तकनीक 14 दिनों तक लगातार काम करती रहेगी, जिससे जीपीएस के अतिरिक्त मील के पत्थर स्थापित होंगे।
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