TRAI ने राष्ट्रीय नंबरिंग योजना के संशोधन की सिफारिशें जारी की हैं। फिक्स्ड-लाइन और M2M कनेक्शन्स के लिए नई नंबरिंग योजना, कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सिस्टम और निष्क्रिय नंबरों की निगरानी शामिल है। इससे भारत की टेलीकॉम नंबरिंग प्रणाली अधिक प्रभावी और संगठित होगी।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने हाल ही में राष्ट्रीय नंबरिंग योजना के संशोधन के लिए अपनी सिफारिशें जारी की हैं। दूरसंचार विभाग ने TRAI से यह सिफारिशें मांगी थीं ताकि फिक्स्ड-लाइन नंबरिंग संसाधनों की उपलब्धता से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सके। अब TRAI ने अपनी सिफारिशें दी हैं, जिनकी मुख्य बातें नीचे दी गई हैं।
ट्राई की सिफारिशों की मुख्य बातें
TRAI ने कहा कि टेलीकॉम नंबरिंग संसाधनों पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए। साथ ही, DoT को बिना उपयोग वाले नंबरिंग संसाधनों की निगरानी करनी चाहिए और उन्हें वापस लेना चाहिए। फिक्स्ड-लाइन नंबरिंग संसाधन के लिए, TRAI ने सुझाव दिया कि 10-अंकीय बंद नंबरिंग योजना को लाइसेंस सर्विस एरिया के आधार पर लागू किया जाए। इससे वे नंबरिंग संसाधन उपलब्ध हो जाएंगे जो वर्तमान में SDCA स्तर तक ही सीमित हैं।
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सिस्टम को जल्द से जल्द लागू करने की सिफारिश की गई है। यह सिस्टम कॉलर का नाम दिखाने में मदद करेगा, जिससे स्पैम कॉल्स और साइबर अपराधों में कमी आएगी, जो वित्तीय धोखाधड़ी का कारण बनते हैं।
TRAI ने यह भी कहा कि टेलीकॉम कंपनियां किसी भी नंबर को 90 दिनों की निष्क्रियता से पहले निष्क्रिय नहीं कर सकतीं। यदि कोई नंबर 365 दिनों तक उपयोग में नहीं आता है, तो उसे अनिवार्य रूप से निष्क्रिय कर दिया जाना चाहिए।
M2M कनेक्शन्स, जो SIM आधारित हैं, उन्हें 10-अंकीय नंबरों से 13-अंकीय नंबरों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इससे नंबरिंग संसाधनों की समस्या का समाधान करने में मदद मिलेगी।
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