धर्म और धार्मिक भावनाओं का ‘PR’ टीम द्वारा मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल करने का चलन आजकल चल नहीं बल्कि दौड़ रहा है !
पिछले कुछ समय से फ़िल्मों और वेबसीरीज की PR टीम ने अपने प्रोजेक्ट की पब्लिसिटी के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना या उन तक अपना प्रोजेक्ट पहुंचाने के लिए एक सस्ता तरीका ढूँढ लिया है जो इन दिनों सबसे सफल है वो ये कि लोग जिन चीज़ों से सबसे ज्यादा आहत होते हैं और जोकि बहुत निजी भी हैं ‘सेक्स’ और ‘धर्म’ को दिखाओ और फ्री में अथाय पब्लिसिटी पाओ !
इसी क़तार में लगी क्रिस्टोफर नोलन की 21 जुलाई को रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘oppenheimer’ है जिसमें एक intimate सीन के दौरान मानव सभ्यता को दिव्य उपहार ‘भगवत गीता’ के श्लोक पढने से फ़िल्म पर विवाद शुरू हो गया है!
फ़िल्म लोगों तक पहुंचने से पहले गुज़रती है CBFC (central board of film certification) के रूम से –
फ़िल्म में दिखाए गए सीन में जहां श्रीमद्भागवत् गीता के श्लोकों को आपत्तिजनक स्थिति में सुनाया जा रहा है जिसके बाद ये विवाद शुरू हुआ लेकिन उसके पहले एक सवाल जिसका साइज़ पिछले कुछ समय से लगातार बड़ा हो रहा है कि कोई भी फ़िल्म या वेबसीरीज पब्लिक डोमेन में आने से पहले सरकार द्वारा स्थापित संस्थाएं जो किसी भी तरह की मनोरंजन सामग्री को रिलीज़ होने से पहले जांचती हैं और उनकी जांच का मुख्य उद्देश्य ही होता है कि जो सामग्री जनता को परोसी जाने वाली है उसमें किसी भी तरह की कोई आपत्तिजनक बात, सीन और संवाद ना हों क्यूंकि भारत किसी एक सभ्यता को प्रस्तुत नहीं करता है, हमारा समाज तमाम सभ्यताओं को समेटे हुए है और इसीलिए अनेकता में एकता की बात कही जाती है !
और जब बात इतनी जटिल है तो ज़ाहिर सी बात है कि ‘CBFC’ और इसके जैसी संस्थाओं को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे लेकिन हमें एक लंबे वक़्त से ये देखने को मिल रहा है कि आए दिन रिलीज़ होने वाली फ़िल्म और वेबसीरीज में कोई ना कोई ऐसी बात ज़रूर होती है जिससे पैदा विवाद धर्म से सीधा जुड़ जाता है !
क्रिएटिविटी लिबर्टी के नाम पर क्या हमें ये देखना भी ज़रूरी नहीं है कि हम किस पात्र से क्या कहलवा रहे हैं या फ़िर किस चीज़ का उपयोग किस स्थिति में कर रहे हैं, बात ओपनहाईमर के अलावा कुछ दिन पहले आई ‘आदिपुरुष’ की भी है जिसमें धार्मिक पात्रों के बीच अशोभनीय संवाद दिखाया गया था लेकिन फिल्म ‘आदिपुरुष’ हो या ‘oppenheimer’ दोनों ‘CBFC’ की मंजूरी के बाद ही रिलीज़ हुई हैं, फ़िर जो आपत्ति लोगों को उसमें दिखाई और सुनाई जा रहे सीन्स से है, तो क्या ‘CBFC’ ने उन सीन्स को देखते समय अपनी आंखें बंद कर रखी थीं या उन्हें किसी ने वाशरूम के लिए भेज दिया था !
जितनी शिकायत ऐसी फ़िल्म या वेबसीरीज से हो रही है उससे ज्यादा शिकायत होनी चाहिए ऐसी चीज़ों को पब्लिक तक ना पहुंचने देने के लिए गठित संस्थाओं से, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चोरी करने के लिए जितना जिम्मेदार चोर होता है उतना ही जिम्मेदार उस चोरी को हो जाने देने के लिए चौकीदार भी होता है !
Written By - Raaj Sharma.
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