भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक की हार के बाद अन्य राज्यों में आने वाले चुनाओं के लिए अपनी रणनीति बदलती नज़र आ रही है और इसी क्रम में पार्टी ने छत्तीसगढ़ चुनाव में किसी घोषित मुख्यमंत्री चेहरे के बिना लड़ने का फैसला किया है !
आने वाले चुनाव के लिए प्रदेश में पार्टी की आपसी गुटबाजी पर अंकुश लगाना है ज़रूरी !
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं जिसके लिए पार्टी के बड़े बड़े नेताओं का जमावड़ा प्रदेश में आये दिन लग रहा है कभी किसी क्षेत्र में रैली के लिए तो कभी पार्टी के अनुशासन और योजनाओं को बल देने के लिए,
और इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी प्रदेश की राजधानी रायपुर के दौरे पर आने वाले हैं लेकिन उससे पहले ही पार्टी ने प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए एक बड़ा फैसला लिया है जिसमें पार्टी की तरफ से कोई भी घोषित मुख्यमंत्री चेहरे के ऊपर चुनाव ना लड़ने का निर्णय लिया है और इस फैसले को गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद ही लिया है !
और जब इस फैसले के बारे में मीडिया ने भाजपा के नेताओं से जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि ये फैसला प्रदेश की कार्यसमिति और कार्यकर्ताओं को एकजुट करके चुनाव लड़ने के लिए लिया गया है जिससे आने वाले चुनाव में हम पार्टी को एक बड़ी सफलता दिला सकें और समावेशी नेतृत्व में पार्टी को मजबूत बनाएं !
इस बार रमन सिंह के चेहरे के बगैर चुनाव लड़ेगी भारतीय जनता पार्टी –
इस फैसले के पीछे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह को भी बताया जा रहा है, पार्टी के अंदरूनी कार्यकर्ताओं ने मीडिया से बात करते हुए ये बताया था कि 2018 में मिली बड़ी हार की वजह से प्रदेश के तमाम कार्यकर्त्ता शीर्ष नेतृत्व से भी नाराज़ थे और इसी के चलते प्रदेश की कमेटी में भी गुटबाजी की ख़बरें आ रही थीं इसलिए पार्टी में गुटबाजी पर अंकुश लगाने के लिए ये फैसला लिया गया है !
बता दें 2018 में भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में 90 में से सिर्फ 15 सीटें ही मिली थीं हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में वापसी करते हुए 11 में से 9 लोकसभा सीटें जीती थीं !
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