प्रेम मनुष्य के लिए पहली और आखिरी ज़रुरत है इसके अतिरिक्त दुनियां की तमाम उपलब्धियां और नश्वर लोभ-लाभों और इक्षाओं के बाद समय की छलनी से छनकर अगर कुछ बचा रहता है तो वो प्रेम ही है और इसके उदाहरण समाज शुरू से देता आया है फिर चाहे वो बाबा तुलसीदास का मां रत्नावली से मिलने जाने के लिए उफनती नदी पार करना हो या बाद में फिल्मों में नायिका का नायक के लिए सात समंदर पार करके उसके पीछे-पीछे पहुंचना हो सब प्रेम में धुत और अपने प्रेमी से मुग्ध होकर ऐसा करते आए हैं ! और अब ऐसा ही कुछ हुआ है बिहार के बेतिया में !
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