पीएचई कर्मचारी पति की मौत के बाद फैमिली पेंशन का आवेदन किया तब मालती सक्सेना को पता चला कि उसकी तो 1998 में ही मौत हो चुकी है, पेंशन नहीं मिल सकती, मालती को अब हाईकोर्ट से राहत मिली
जलसंसाधन विभाग में कार्यरत पति की मौत के बाद मालती सक्सेना ने परिवार पेंशन का आवेदन किया तो उन्हें मालूम चला कि रेकॉर्ड में उनकी मौत 26 साल पहले ही हो चुकी है। तब मालती ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने उस रिट अपील को स्वीकार कर लिया, जिसमें मालती सक्सेना ने सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा कर पेंशन की मांग की थी। कोर्ट ने जल संसाधन विभाग को दस्तावेज की पूर्ति कर 2 महीने में मालती सक्सेना की पेंशन शुरू करने का आदेश दिया।
कोर्ट में मालती सक्सेना ने तर्क दिया कि पति ने 2013 में उसका नाम सरकारी रिकॉर्ड में जोड़ने के लिए आवेदन दिया था। बाबू की गलती के कारण उनका नाम सरकारी रेकॉर्ड में नहीं जुड़ सका। इस कारण उसे 1998 में मृत मान लिया गया। सेवा अभिलेख को भी दुरुस्त नहीं किया गया।
पति की मृत्यु के बाद परिवार पेंशन का लाभ लेने का प्रयास किया, लेकिन विभाग ने इसे देने से इनकार कर दिया। विभाग ने यह तक कहा कि वीके सक्सेना ने दो विवाह किए थे। संभवत: पहली पत्नी का निधन हो चुका है। इसलिए याचिकाकर्ता पेंशन की हकदार नहीं है।
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