उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी, पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "समाजवादी पार्टी और लोकतंत्र दो ऐसे छोर हैं जो कभी नहीं मिल सकते।"
उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष, विशेषकर समाजवादी पार्टी, पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि "समाजवादी पार्टी और लोकतंत्र दो ऐसे छोर हैं जो कभी नहीं मिल सकते।" सीएम योगी के अनुसार, जिन लोगों ने अपने शासनकाल में लोकतांत्रिक मर्यादाओं का सम्मान नहीं किया, वे आज लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं, जो बिल्कुल शोभा नहीं देता।
मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी के शासनकाल को याद करते हुए कहा कि संभल जैसी जगहों पर उस समय अराजकता और तांडव का माहौल था, जबकि अब वहां "शुद्धिकरण" का कार्य चल रहा है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए जोड़ा कि अगर वहां हवन करना है तो ठीक है, लेकिन अनावश्यक रूप से हर जगह "न्यूसेंस" क्रिएट कर शांति भंग करना, चाहे संभल हो, बहराइच हो या गोरखपुर, समाजवादी पार्टी का रवैया हर जगह एक जैसा रहा है।
सीएम योगी ने विपक्ष पर विकास कार्यों में बाधा डालने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में प्रदेश के विकास के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया। आज जब एनडीए सरकार विकास की दिशा में कदम बढ़ा रही है, तो विपक्ष को यह बुरा लग रहा है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि वर्तमान सरकार प्रदेश के सभी व्यापारियों के साथ मिलकर काम कर रही है, जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार के समय व्यापारियों से "गुंडा टैक्स" वसूला जाता था। इसी कारण व्यापारी वर्ग समाजवादी पार्टी से नाराज रहा और इसका खामियाजा उन्हें बार-बार चुनावों में भुगतना पड़ा।
विधानसभा में दिए गए इस भाषण में सीएम योगी ने न केवल विपक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठाए, बल्कि अपनी सरकार की "शांतिपूर्ण और विकासोन्मुखी" छवि को भी मजबूती से सामने रखा। उनके तेवर और शब्दचयन ने विधानसभा के माहौल को गरमा दिया, और राजनीतिक पटल पर एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच वैचारिक टकराव साफ नज़र आया।
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