पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल चंपावत पहुंचे और स्थानीय पर्यटन स्थलों तथा संभावनाओं का जायजा लिया, पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के लिए दिशा निर्देश दिए।
उत्तराखंड के पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल अपने दौरे के दौरान चंपावत पहुंचे। जहां महिला सहायता समूहों में उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जिला सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता सचिव, पर्यटन एवं ग्राम्य विकास, उत्तराखण्ड धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा की गई।
स्टालों का किया निरीक्षण
कार्यक्रम के प्रारम्भ में सचिव द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में विभिन्न विभागों एवं महिला सहायता समूहों द्वारा लगाए गए स्टालों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने स्थानीय कृषि एवं उद्यान सहित अन्य उत्पादों के संवर्धन, गुणवत्ता सुधार तथा प्रभावी विपणन पर विशेष ध्यान देने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। उन्होंने “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत अपनी माता स्वर्गीय कमला गर्ब्याल के नाम कलेक्ट्रेट परिसर में वृक्षारोपण किया। इसके पश्चात सचिव द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई। कार्यशाला के दौरान मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के अंतर्गत महिलाओं की उद्यमशील क्षमता विकसित करने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। सचिव गर्ब्याल ने महिला सहायता समूहों की महिलाओं से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं एवं शंकाओं को सुना तथा कार्यशाला के दौरान ही उनका समाधान सुनिश्चित किया। उन्होंने ग्रामीण उद्यमों को सशक्त बनाने में रूरल सेंटर इन्क्यूबेटर की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया। साथ ही जनपद में लखपति दीदी की संख्या बढ़ाने, उनकी समस्याओं के समाधान एवं व्यवसायिक गतिविधियों के विस्तार को लेकर भी विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
टी-गार्डन पर दिया जोर
सचिव ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि महिला सहायता समूहों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखा जाए, जिससे महिलाओं को नियमित मार्गदर्शन एवं सहयोग मिल सके। उन्होंने जनपद में समुदायिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समस्त चाय उत्पादन वाले गांवों को चिन्हित कर उन्हें मॉडल गांव के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। “हिमालय व्यू” वाले टी-गार्डन एवं पर्यटन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इन गांवों के समग्र विकास पर विशेष बल देने के निर्देश दिए। सचिव गर्ब्याल ने महिला सहायता समूहों से इंटीग्रेशन एवं क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया तथा पर्यटन के साथ कृषि एवं उद्यानिकी को जोड़ने पर जोर दिया।उन्होंने जनपद में होम-स्टे को पारंपरिक पहाड़ी शैली में विकसित करने, ट्रैकिंग ट्रेल्स के चिन्हीकरण से रोजगार सृजन करने एवं क्लस्टर आधारित प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को होम-स्टे संचालन हेतु तैयार करने के निर्देश दिए।
Comments (0)