तीर्थनगरी ऋषिकेश में एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता और हनुमान के स्वरूप में सजे कलाकार ढोल-नगाड़ों के साथ कोतवाली पहुंचे। वहां मौजूद लोग पहले तो हैरान रह गए, पर जल्दी ही समझ में आ गया कि यह धार्मिक झांकी नहीं, बल्कि विरोध प्रदर्शन का एक सांकेतिक और अनोखा तरीका था।
तीर्थनगरी ऋषिकेश में को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता और हनुमान के स्वरूप में सजे कलाकार ढोल-नगाड़ों के साथ कोतवाली पहुंचे। वहां मौजूद लोग पहले तो हैरान रह गए, पर जल्दी ही समझ में आ गया कि यह धार्मिक झांकी नहीं, बल्कि विरोध प्रदर्शन का एक सांकेतिक और अनोखा तरीका था।
दरअसल, 70 वर्ष पुरानी सुभाष बनखंडी रामलीला समिति के कलाकारों और पदाधिकारियों ने रामलीला मंचन और दशहरे पर रावण दहन की अनुमति न मिलने तथा लगातार झूठे मुकदमों से परेशान होकर प्रतीकात्मक गिरफ्तारी देने का निर्णय लिया।
समिति के अध्यक्ष हरिराम अरोड़ा और महामंत्री योगेश कालरा ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक रसूखदार लोग और पुलिस शिकायत प्रकोष्ठ में बैठे एक व्यक्ति, समिति की संपत्ति और प्रतिष्ठा पर कब्जा जमाने की नीयत से सरकार को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी साजिश के चलते रामलीला पर रोक लगाई गई है और कलाकारों तथा पदाधिकारियों को निशाना बनाकर फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि यह कितनी विडंबनापूर्ण स्थिति है कि खुद को रामभक्त कहने वाली सरकार के शासनकाल में ही ऋषिकेश जैसे धार्मिक नगर में रामलीला जैसे सांस्कृतिक आयोजन पर रोक लगी हुई है। समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि वह इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करें, षड्यंत्रकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
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