नई दिल्ली, भारत सेमीकंडक्टर चिप्स की मैन्यूफैक्चरिंग में बड़ा दांव खेलने जा रहा है। देश में चार सेमीकंडक्टर यूनिट बनाने का काम शुरू हो चुका है। इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के मंत्री अश्विनी वैष्णव का दावा है कि अगले पांच साल में भारत सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाले दुनिया के टॉप 5 देशों की लिस्ट में शामिल होगा। लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि भारत को सेमीकंडक्टर चिप बनाने की रेस में शामिल नहीं होना चाहिए। ऐसा करके वह बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत के लिए सेमीकंडक्टर चिप बनाने से भी जरूरी कई काम हैं। उसके इस हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट पर फोकस करने के बजाय अपने एजुकेशन सिस्टम को दुरुस्त करना चाहिए।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के बूथ स्कूल ऑफ़ बिज़नस में फाइनेंस के प्रोफेसर रघुराम राजन ने एक नोट में कहा कि भारत सरकार हायर एजुकेशन के सालाना बजट से ज्यादा पैसा चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए सब्सिडी के रूप में दे रही है। यह अच्छी बात नहीं है। निश्चित रूप से यह विकसित देश बनने का रास्ता नहीं है। मोदी सरकार की नीतियों के धुर विरोधी रहे राजन ने साफ किया कि उनकी बात का यह मतलब नहीं है कि भारत को कभी भी सेमीकंडक्टर चिप नहीं बनाना चाहिए। लेकिन आज हर देश यही कर रहा है। इस रेस में पड़ने का मतलब खुद को बर्बाद करना है। भारत ने पिछले महीने तीन सेमीकंडक्टर प्लांट को मंजूरी दी थी। इन पर कुल 1.26 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा जिसमें सरकार की तरफ से 48,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश में चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए सब्सिडी देने की सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि दुनिया का हर देश इस होड़ में शामिल हैं। इसलिए इससे बचने की जरूरत है।
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