भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने के बदले कर्ज देने वाले संस्थानों में कई अनियमितताओं की पहचान की है और उनसे अपनी नीतियों एवं प्रक्रियाओं की व्यापक समीक्षा करने को कहा है। सेंट्रल बैंक ने कर्जदाताओं को भेजे एक संदेश में बताया कि हाल की समीक्षा में सोने के आभूषणों को गिरवी रखकर दिए जाने वाले ऋणों के संबंध में कई खामियां सामने आई हैं।
RBI ने पाई खामियां
आरबीआई के मुताबिक, कर्जों के स्रोत और मूल्यांकन के लिए तीसरे पक्ष के उपयोग में कमियां, ग्राहक की गैर-मौजूदगी में सोने का मूल्यांकन, अपर्याप्त जांच-पड़ताल और स्वर्ण ऋण के अंतिम उपयोग पर निगाह रखने में कमी और चूक होने पर सोने के आभूषणों की नीलामी के दौरान पारदर्शिता का अभाव जैसी खामियां पाई गई हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा के हाल के अध्ययन में कहा गया है कि आरबीआई की तरफ से हाल में उठाए गए कदमों के बावजूद स्वर्ण ऋण में अच्छी वृद्धि हुई है और मार्च, 2025 तक संगठित कर्जदाताओं का पोर्टफोलियो 10 लाख करोड़ रुपए तक हो जाने का अनुमान है।
जारी की सख्त गाइडलाइन
आरबीआई ने सोने के बदले कर्ज देने के कारोबार में शामिल सभी संस्थाओं को अपनी नीतियों और प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा करने, कमियों की पहचान करने और समयबद्ध तरीके से उचित सुधारात्मक उपाय शुरू करने की सलाह दी। आरबीआई अधिसूचना के मुताबिक, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आउटसोर्स की गई गतिविधियों और तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं पर इन संस्थाओं का पर्याप्त नियंत्रण हो।
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