मध्य पूर्व में जारी भू-राजनीतिक तनाव ने कच्चे तेल की कीमतों को बहुत प्रभावित किया है। इजरायल-हमास संघर्ष साथ लाल सागर में यमनी विद्रोहियों के हमलों ने आपूर्ति व्यवधानों की आशंकाओं को जन्म दिया है, जिससे कीमतों को समर्थन मिला है। वैश्विक स्तर पर तेल भंडार में कमी देखने को मिल रही है, विशेष रूप से अमेरिका में, जहां भंडार 5 साल के औसत से नीचे हैं।
इसके बावजूद, कच्चे तेल की कीमतों के भविष्य में अनिश्चितता बनी हुई है। माना जा रहा है कि कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर्स भविष्य की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। कच्चे तेल के दामों को प्रभावित करने वाली पहली वजह तो यह हो सकती है कि यदि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में वृद्धि करता है, तो इससे अमेरिकी डॉलर मजबूत होगा और तेल की मांग कमजोर पड़ सकती है, जिससे कीमतों पर दबाव देखने को मिलेगा।
वैश्विक आर्थिक वृद्धि मंदी की आशंकाओं के कारण वैश्विक आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ने से तेल की मांग कम हो सकती है। गैर-ओपेक उत्पादन में वृद्धि। अमेरिका, ब्राजील और कनाडा जैसे देशों से गैर-ओपेक उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है, जो आपूर्ति बढ़ा सकती है और कीमतों को नीचे ला सकती है।
निकट भविष्य में $68 और $92 प्रति बैरल के बीच कीमतों के उतार-चढ़ाव की संभावना है। दीर्घकालिक रूप से, वैश्विक मांग और आपूर्ति के रुझान, साथ ही भू-राजनीतिक घटनाक्रम की दिशा कीमतों को निर्धारित करेगी। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है, लेकिन भविष्य में अनिश्चितता बनी हुई है।
मध्य पूर्व में जारी भू-राजनीतिक तनाव और लाल सागर संकट ने कच्चे तेल की कीमतों को बहुत प्रभावित किया है।
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