प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यापारिक नीतियों की वजह से भारतीय बाजार में ऐतिहासिक उछाल होने वाला है, क्योंकि निवेशकों ने चीन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था से अरबों डॉलर खींच लिए हैं और भारत को दुनिया की सबसे तेज रफ्तार से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था मानकर दांव लगा दिया है यानि जो चीन अभी तक ग्लोबल इकोनॉमी की धूरी बना हुआ था, उसके दिन लदने वाले हैं और अब भारत के वक्त आ गया है। ग्लोबल कैशफ्लो का एक बड़ा हिस्सा अब भारत की तरफ आ रहा है।
गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक और मॉर्गन स्टेनली जैसे वॉल स्ट्रीट के दिग्गज अगले दशक के लिए दक्षिण एशियाई राष्ट्र को प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में समर्थन दे रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सोने में भी भारी निवेश होने जा रहा है।
चीन की जगह भारत में विशालकाय निवेश
62 अरब डॉलर के हेज फंड मार्शल वेस ने अपने प्रमुख हेज फंड में अमेरिका के बाद भारत को अपने सबसे बड़े शुद्ध दीर्घकालिक दांव लगाने वाले देश के रूप में स्थान दिया है। ज्यूरिख स्थित वोंटोबेल होल्डिंग एजी की एक शाखा ने भारत को अपनी शीर्ष उभरती बाजार हिस्सेदारी बना लिया है और जानूस हेंडरसन ग्रुप पीएलसी फंड-हाउस भारत में अधिग्रहण की खोज कर रहा है। यहां तक कि जापान के पारंपरिक रूप से रूढ़िवादी खुदरा निवेशक भी भारत को गले लगा रहे हैं और चीन में निवेश तेजी से कम कर रहे हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स, एशिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव पर भी फोकस कर रहे हैं और चीन की जगह भारत को निवेश के लिए चुन रहे हैं। भारत, जो इस वक्त दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, उसने वैश्विक पूंजी और सप्लाई चेन को बीजिंग से दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बुनियादी ढांचे का व्यापक विस्तार किया है।
भारत को लेकर बदला नजरिया
हालांकि, भारत के बारे में पॉजिटिव सेंटिमेंट की भावना नई नहीं है लेकिन निवेशकों को भारत में अब एक ऐसा बाजार दिखने लगा है, जो अतीत के चीन जैसा दिखता है। भारत अब एक विशाल, गतिशील अर्थव्यवस्था बनकर सामने आ रहा है, जिसने वैश्विक निवेश के लिए खुद को पूरी तरह से खोल लिया है।
इतिहास बताता है, कि भारत की आर्थिक वृद्धि और उसके शेयर बाजार के मूल्य में गहरा संबंध है। यदि भारत, 7% की दर से विस्तार करना जारी रखता है, तो बाजार का आकार औसतन कम से कम उस दर से बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। पिछले दो दशकों में, जीडीपी और बाजार पूंजीकरण $500 बिलियन से बढ़कर $3.5 ट्रिलियन हो गया है।
हांगकांग को पीछे छोड़ भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार
ईपीएफआर के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 के बाद से चीन से ग्लोबल इन्वेस्टर्स ने जो भी फंड निकाला है, उसका 50 प्रतिशत से ज्यादा निवेश भारत में कर दिया है और यही सब ऐसे फैक्टर्स हैं, जिनकी वजह से पिछले महीने भारत कुछ समय के लिए हांगकांग को पीछे छोड़कर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाज़ार बन गया।
मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है, कि भारत का शेयर बाजार 2030 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शेयर बाजार बन जाएगा।
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