आज का युवा तम्बाकू, गुटखा और सुपारी की लत में उलझता जा रहा है। जिससे पहले धीरे धीरे मुंह खुलना कम हो जाता है। फिर वह इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की जद में पहुंच जाता है। एम्स भोपाल की रिपोर्ट इस तथ्य को साबित कर रही है। कैंसर से पीड़ित 60 फीसदी मरीजों की की आयु 15 से 28 साल के बीच देखी गई। इस दिन युवाओं को आगे बढ़कर इस लत से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि सादा पान मसाला भी नुकसान पहुंचाता है।
ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस के 10 फीसदी मामले में कैंसर
ब्रिटिश मेडिकल जरनल में एम्स के ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. अंशुल राय की रिसर्च में बताया गया है कि कम मुंह खुलने यानी ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस के ज्यादातर मरीज युवा होते हैं। जिन्होंने 9 से 10 साल की आयु से तम्बाकू, गुटखा और सुपारी का सेवन शुरू किया होता है। ऐसे सौ मरीजों में 10 से 12 में यह कैंसर का कारण बन जाता है। रिपोर्ट में यह भी साफ किया कि पहले मुंह कम खुलने की समस्या ही हो यह जरूरी नहीं, कुछ रोगियों में सीधे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी देखी गई हैं।
अजवायन और काली मिर्च मददगार
डॉ. राय का कहना है कि एक दम से लत नहीं छोड़ी जा सकती है। ऐसे में पहले दिन यदि कोई 10 बार तम्बाकू, गुट्खा और सुपारी का सेवन करता है तो उसे 8 बार कर दे। अन्य दो बार वे अजवाइन के साथ काला नमक और काली मिर्च का पाउडर का सेवन करें।
चार ग्रेड में होती है मुंह नहीं खुलने की समस्या
मुंह नहीं खुलने की समस्या के चार ग्रेड हैं। जितना कम मुंह खुलता है उतना ही ग्रेड बढ़ जाता है। ग्रेड एक और दो के मरीज एक्सरसाइज और हल्दी व शहद का लेप लगा इस समस्या को रोक सकते हैं। वही ग्रेड 3 और ग्रेड चार के मरीजों में सर्जरी ही विकल्प होता है। शहर में पान-मसाले का कारोबार प्रति माह 50 करोड़ रुपए से ऊपर का होता है। सबसे ज्यादा चलन में जर्दा पाउच है। इसके बाद सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू और सुपारी की खपत होती है।
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