एच3एन2 (H3N2) वायरस के बढ़ते मामले के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने देश भर के डॉक्टरों और चिकित्सकों को सलाह दी है कि वे मौसमी बुखार, सर्दी और खांसी के लिए एंटीबायोटिक्स लिखने से बचें। आईएमए ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक नोटिस के जरिए यह घोषणा की।
आईएमए का नोटिस
देश में बढ़ रहे वायरल के मामले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने देश भर के डॉक्टरों और चिकित्सकों को एडवाइजरी जारी की है। आईएमए की स्टैंडिंग कमेटी फॉर एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, मौसमी बुखार पांच से सात दिनों तक रहेगा। बुखार तीन दिनों के बाद चला जाता है, लेकिन खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है। आईएमए ने अपने नोटिस में कहा कि, “यह ज्यादातर 50 वर्ष से ऊपर और 15 वर्ष से कम आयु के लोगों में होता है। लोग बुखार के साथ ऊपरी श्वसन संक्रमण विकसित करते हैं, जो की ज्यादातक वायु प्रदूषण के कारण होता है।
एंटीबायोटिक्स का उपयोग कम करने की सलाह
नोटिस के मुताबिक, सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स एमोक्सिसिलिन, नॉरफ्लोक्सासिन, ओप्रोफ्लॉक्सासिन, ओफ्लॉक्सासिन, लेवोफ्लॉक्सासिन हैं। इनका उपयोग डायरिया और यूटीआई के लिए किया जा रहा है। आईएमए ने कहा कि कोविड के दौरान एंथ्रोमाइसिन और इवरमेक्टिन का व्यापक उपयोग देखा है और इससे भी प्रतिरोध पैदा हुआ है।
आईएमए ने अपने नोटिस में सलाह दी है कि एंटीबायोटिक दवाओं को निर्धारित करने से पहले यह पता लगाना आवश्यक है कि संक्रमण जीवाणु है या नहीं। इसने लोगों को संक्रमण की रोकथाम के लिए आत्म-नियंत्रण और नियमन का अभ्यास करने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की टीकाकरण करने की जरुरत है।
“सोशल मीडिया पर गलत खबरें इतनी रफ़्तार से चलती हैं कि सच्चाई वाली खबरें विक्टिम बन जाती है”: CJI
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