बाहर की ठंडी हवा हमारे शरीर में घुसते ही हमारे सांस लेने के रास्ते यानी नाक और गले को प्रभावित करती है. ये सूखी और ठंडी हवा वायरस और बैक्टीरिया को पनपने का मौका देती है, जो आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
नाक का "कागज" और वायरस का हमला
Harvard Medical School के एक अध्ययन के मुताबिक, हमारी नाक एक "कागज" की तरह काम करती है, जो ठंडी हवा से हमारे शरीर की रक्षा करती है. ये नाक में मौजूद कुछ कोशिकाओं के जरिए वायरस के खिलाफ लड़ाई करती है. लेकिन ठंड में ये कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे वायरस आसानी से जीत लेते हैं.
भीड़-भाड़ और वायरस का प्रसार
ठंड के दिनों में हम ज्यादातर घर के अंदर रहते हैं, जहां कम हवा और बंद जगहें वायरस के लिए स्वर्ग बन जाती हैं. ऐसे में छींकने, खांसने से निकलने वाले छोटे बूंदों में मौजूद वायरस आसानी से दूसरों को संक्रमित कर देते हैं.
प्रदूषण का बुरा असर
सर्दी के मौसम में हवा में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है, जो फेफड़ों को कमजोर करता है और वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता कम कर देता है.
कमजोर इम्यूनिटी भी है जिम्मेदार
कम विटामिन डी का स्तर और कमजोर इम्यूनिटी भी सर्दी में बीमारियों के लिए जिम्मेदार हो सकती है. धूप कम मिलने की वजह से शरीर में विटामिन डी का स्तर कम हो जाता है, जो इम्यूनिटी को कमजोर करता है.
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