Ayurvedic - आयुर्वेदिक डॉक्टर्स जटिल सर्जरी नहीं करते व अन्य मामलों पर मान सुप्रीम कोर्ट का निर्णय कि आयुर्वेदिक डॉक्टर्स एमबीबीएस डॉक्टरों के बराबर वेतन के हकदार नहीं पर आयुर्वेद सम्मेलन( आयुर्वेद महासम्मेलन) व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पाण्डेय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए अनुरोध किया है कि, अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें।
हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि, हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं पर विचार इस बात पर होना चाहिए कि, आयुर्वेद हो या होम्योपैथी , यूनानी या एलोपैथी - सभी अपने आप में न सिर्फ महत्व रखती हैं बल्कि पूर्ण भी हैं तभी पूरी दुनिया में आज कोरोनाकाल के बाद आयुर्वेद की महत्ता बढ़ी है और जनमानस का विश्वास जीवंत हुआ है।
कोरोनाकाल में हजारों लोगों की जान आयुर्वेद ने बचाई है
उन्होंने आगे कहा कि, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि, कोरोनाकाल में हजारों हजार लोगों की जान आयुर्वेद ने बचाई है। आज सेंट्रल काउंसिल ऑफ इण्डियन मेडिसिन जो आज एनसीआईएसएम है, भी केंद्र सरकार की जानकारी में आयुर्वेदिक एमएस डिग्रीधारी डॉक्टरों को तय सीमा में ईएनटी व अन्य में सर्जरी के अधिकार दिए हैं।
आयुर्वेद और आयुर्वेद के डॉक्टर्स किसी से कम नहीं हैं
डॉ. पाण्डेय ने कहा कि, ग्रंथों की बात मानें तो सैकड़ों वर्ष पूर्व से ही सर्जरी आयुर्वेद से जुड़ा रहा है। समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि का औषधि कलश लिए प्रकट होना और पूरी धरती खासकर भारत में एलोपैथी से पहले आयुर्वेद का होना दर्शाता है कि, आयुर्वेद और आयुर्वेद के डॉक्टर्स किसी से कम नहीं हैं। देश के ग्रामीण अंचलों में 50 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य व्यवस्था आयुर्वेद आयुष डॉक्टरों ने संभाल रखी है। केंद्र सरकार को चाहिए कि, पैथीय डॉक्टरों की संख्या के आधार पर बजट का निर्धारण होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट से देशभर के आयुर्वेद डॉक्टर्स गुजारिश करते हैं
सुप्रीम कोर्ट से देशभर के आयुर्वेद डॉक्टर्स गुजारिश करते हैं और आशा भरी नजरों से देख रहे हैं कि, भारतीय देशी पद्दति आयुर्वेद के सम्मान व हित में किसी भी पैथी से बढ़कर हितार्थ आदेश करें ताकि स्वतंत्रता से पहले भारत में विभिन्न सत्ताओं के बदलते रहने से जो नुकसान आयुर्वेद का हुआ है व सम्मानजनक पूरा हो सके। केवल एलोपैथी से क्या देश की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त रखी जा सकती है - गंभीर प्रश्न है।
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