भारत और रूस एक बार फिर से अपने मजबूत स्ट्रैटजिक संबंधों के बीच एक नई परीक्षा में फंस गये हैं। भारत ने आधिकारिक तौर पर रूस से पाकिस्तान को होने वाली RD-93 इंजनों की आपूर्ति रोकने का अनुरोध भेजा है। भारत ने रूस से औपचारिक तौर पर पाकिस्तान को RD-93 इंजन और उसके स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति रोकने की मांग की है। भारत की ये मांग उस वक्त आई है जब पिछले दिनों पाकिस्तान के साथ करीब करीब युद्ध शुरू हो चुका था और पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपने JF-17 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया था। ये फाइटर जेट रूसी RD-93 इंजन से ऑपरेट होता है। हालांकि पाकिस्तान ये इंजन सीधे रूस से नहीं खरीदता है, बल्कि वो ये इंजन चीन से खरीदता है। जबकि चीन इस इंजन को रूस से खरीदता है। चीन, पाकिस्तान में JF-17 फाइटर जेट बनाता है।
JF-17 एक हल्का, सिंगल इंजन, मल्टी रोल फाइटर जेट है, जिसे पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (पीएसी) और चीन के चेंगदू एयरड्राफ्ट कॉरपोरेशन (सीएसी) ने मिलकर बनाया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सितंबर 2024 तक पाकिस्तान के पास करीब 156 जेएफ-17 फाइटर जेट थे। ये पाकिस्तानी एयरफोर्स की रीढ़ की हड्डी है। इसे हवा से जमीन पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें रूसी इंजन RD-93 का इस्तेमाल किया गया है जो मैक्सिमम 8,300 किलोग्राम का थ्रस्ट जेनरेट करता है।
भारत ने रूस से की इंजन सप्लाई रोकने की मांग
रूसी इंजन के लिए चीन और रूस में 2007 में समझौता हुआ था, जिसको लेकर भारत ने गहरी आपत्ति जताई थी। इसके तहत रूस ने चीन को 150 RD-93 इंजन सप्लाई करने की इजाजत दे दी गई थी। भारत ने बार बार इस सप्लाई चेन को लेकर विरोध किया है और तर्क दिया है कि भारत, जो रूस का प्रमुख रक्षा खरीददार है, वो पाकिस्तान की रक्षा क्षमता को मजबूत ना करे। नई दिल्ली का तर्क है कि रूसी इंजन का वाया चीन पाकिस्तान पहुंचना भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है। इसके अलावा रूसी इंजन की आपूर्ति पाकिस्तान और चीन के सैन्य गठबंधन को और मजबूती देती है, जो भारत के खिलाफ रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ सकती है। लिहाजा रूस एक जटिल जियो-पॉलिटिकल स्थिति में पहुंच गया है। भारत और रूस के बीच लंबे समय से स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप रहा है और दोनों देश कई दशकों से मजबूत डिफेंस पार्टनर रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में रूस, काफी हद तक चीन पर निर्भर हो चुका है।
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