वॉशिंगटन, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस को प्रतिबंधों के जाल में जकड़ लिया। जिसने चीन को रूस को अपने करीब लाने का बेहतरीन मौका दे दिया। प्रतिबंधों में फंसे रूस के पास भी चीन के करीब जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था। डोनाल्ड ट्रंप उस दौरान बार बार कह रहे थे कि बाइडेन की प्रतिबंध नीति रूस को चीन के खेमे में धकेल रही है। लेकिन अब जबकि डोनाल्ड ट्रंप खुद अमेरिका के राष्ट्रपति बन चुके हैं तो उन्होंने अमेरिका की गाड़ी का रास्ता रूस की तरफ मोड़ दिया है। जिसने चीन को परेशान कर दिया है। माना जा रहा है कि अगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का फैसला करते हैं तो डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन, रूस के खिलाफ लगाए गये कई प्रतिबंधों को हटा लेगा। जाहिर तौर पर ये शी जिनपिंग के लिए झटका होगा। डोनाल्ड ट्रंप रूस को लेकर अमेरिकी विदेश नीति को पूरी तरह से पलटने जा रहे हैं। इस महीने के अंत तक डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होने वाली है, जिसपर सबसे ज्यादा चीन की नजर है।
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद शी जिनपिंग ने काफी सावधानी से रूस के साथ मिलकर एक साझेदारी बनाई है, लेकिन ट्रंप की विदेश नीति इसे प्रभावित कर सकता है। कुछ हफ्ते पहले ही चीन ने संकेत दिया था, कि वो डोनाल्ड ट्रंप की यूक्रेन में शांति समझौते में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। ट्रंप ने भी बार बार कहा था कि यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए वो रूस पर प्रेशर बनाने के लिए चीन के आर्थिक प्रभाव का इस्तेमाल कर सकते हैं। जबकि चीन इसी बहाने अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध को टालना चाहता है। भारत की तरह चीन भी खुद को यूक्रेन युद्ध में तटस्थ बताता है और खुद को ग्लोबल साउथ की आवाज की तरह पेश करता है। हालांकि नाटो आरोप लगा चुका है कि चीन, रूस को डबल यूज मैटेरियल की सप्लाई कर चुका है, जिसे चीन ने सामान्य बताकर खारिज कर दिया था।
चीन की परेशानी की असल वजह समझिए
डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई सीधी बात ने चीन को हैरत में डाल दिया है। चीन के लिए सबसे बड़ी परेशानी की बात ये है कि वो ना तो खुद को रूस के सहयोगीके तौर पर पेश कर पा रहा है और ना ही वैश्विक गंभीरता की आवाज बन पाया। चीन दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण विषय, जिसे यूक्रेन युद्ध कह सकते हैं, उससे खुद को बाहर पा रहा है, जिसने चीनी अधिकारियों को भी परेशान कर दिया है। लिहाजा खुद को एक विकल्प के तौर पर पेश करने के लिए चीन को संघर्ष करना पड़ रहा है। बाइडेन प्रशासन ने कई बार चीन से यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस पर प्रेशर बनाने की अपील की थी लेकिन चीन लगातार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी करता रहा।
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