कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन में बमुश्किल तीन महीने बचे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्रम में भाग लेने पर सस्पेंस बना हुआ है। मोदी 2019 से जी-7 में नियमित रूप से शामिल होते रहे हैं, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या इस साल के शिखर सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किया जाएगा। इस पर मेजबान कनाडा ने बताया कि गेस्ट देशों की भागीदारी के बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
भारत के साथ कनाडा के संबंध ठंडे
कनाडा की मौजूदा जी7 अध्यक्षता के तहत 15-17 जून को कनानसकीस (अलबर्टा) में शिखर सम्मेलन कीमेजबानी की जाएगी। दूसरी तरफ भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध ठंडे बने हुए हैं। साथ ही कनाडा अमेरिका के साथ एक अभूतपूर्व संकट के बीच में है, जिसने भयानक टैरिफ युद्ध उकसाया गया है। आर्थिक रूप से सबसे उन्नत देशों के समूह के विदेश मंत्रियों ने इस महीने की शुरुआत में चार्लेवोइक्स में एकता का प्रदर्शन किया।
क्या कह रहे कनाडा के नए पीएम?
पता चला है कि खालिस्तान हत्याकांड की साजिश के प्रति अपने लापरवाह रवैये के कारण भारत के साथ संबंधों को खराब करने के लिए व्यापक रूप से दोषी ठहराए जाने वाले पूर्व कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने मेहमानों का चयन अपने उत्तराधिकारी पर छोड़ दिया है। नए कनाडाई पीएम मार्क कार्नी ने कहा है कि वह भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाना चाहते हैं, लेकिन वर्तमान में उनके सामने ट्रंप के दुस्साहस से निपटने का कठिन काम है।
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