भारत के हाथ में चीन की सबसे शक्तिशाली एयर-टू-एयर मिसाइल PL-15E का डीएनए लग गया है। जिससे अब भारत जान सकता है कि पीएल-15 मिसाइल को बनाने के लिए चीन ने किस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान की वायुसेना की तरफ से इस्तेमाल की गई PL-15E मिसाइल के टुकड़ों को सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया था। तस्वीरों से पता चला था कि PL-15E मिसाइल काफी हद तक सुरक्षित है। जिसके बाद अब फ्रांस और जापान के साथ साथ फाइव आईज देशों ने चीनी मिसाइल के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए इस मिसाइल की जांच करने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।
भारतीय वायुसेना के अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने जेएफ-17 फाइटर जेट से चीनी मिसाइल को लॉन्च किया था। लेकिन भारत के बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट ने चीनी मिसाइल को हवा में ही बेअसर कर दिया। यानि युद्ध के दौरान ऐसा पहली बार हुआ है जब चीनी मिसाइल किसी और देश के हाथ लगा है। चीन में इस बात को लेकर चिंता है कि उसके सबसे खतरनाक मिसाइल के बारे में अब भारत काफी सारी जानकारियां हासिल कर सकता है। लिहाजा सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत को फ्रांस, जापान या फाइव आईज देशों के साथ इस मिलाइल की जानकारियां शेयर करनी चाहिए?
भारत के पास PL-15E मिसाइल का DNA
PL-15E मिसाइल को लेकर चीन काफी शेखी बघारता रहा है। ये एक अत्याधुनिक बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) एयर-टू-एयर मिसाइल है। इसे खास तौर पर J-10C, J-16 और J-20 जैसे फाइटर जेट्स के साथ इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी सबसे बड़ी ताकत 200 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक टारगेट को मार गिराने की क्षमता, AESA रडार सीकर के साथ सटीक निशाना लगाने की ताकत है। चीन ने इसे भारत के अचूक हथियारों जैसे Meteor और Astra को काउंटर करने के लिए बनाया है। चीन इसे भारत के राफेल और सुखोई फ्लीट के लिए खतरे के रूप में पेश करता रहा है। लेकिन जब भारत ने चीन की इस सबसे शक्तिशाली मिसाइल को बेअसर कर दिया तो पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। अमेरिका से लेकर यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड को मिलाकर बने फाइव आईज गठबंधन ने इसके टुकड़े की जांच में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, ताकि वो चीनी मिसाइल के बारे में जानकारियां हासिल कर सके।
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