वक्फ कानून में संशोधनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस पर आज भी सुनवाई होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बुधवार को सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि ट्रस्ट की जमीन को सरकार सभी नागरिकों के लिए सुनिश्चित करना चाहती है। वक्फ कानून 2013 के संशोधन से पहले अधिनियम के सभी संस्करणों में कहा गया था कि केवल मुसलमान ही अपनी संपत्ति वक्फ कर सकते हैं। लेकिन 2013 के आम चुनाव से ठीक पहले एक संशोधन किया गया था, जिसके मुताबिक कोई भी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकता है।
वक्फ बोर्ड और हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड की तुलना नहीं
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि वक्फ बोर्ड और हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड की तुलना नहीं की जा सकती। सरकार ने यह बात मुस्लिम पक्ष की उस दलील के जवाब में कही, जिसमें कहा गया था कि गैर-मुस्लिम लोग भी सेंट्रल वक्फ काउंसिल और औकाफ बोर्ड में बहुमत बना सकते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को कुछ दस्तावेज दिखाए। उन्होंने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को दिए गए आश्वासन और SC में दाखिल हलफनामे का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि काउंसिल और बोर्ड का अल्पसंख्यक चरित्र कभी नहीं बदलेगा। क्योंकि, इसमें हमेशा ज्यादातर सदस्य मुस्लिम ही होंगे।
चैरिटी कमिश्नर गैर-हिन्दू भी हो सकते हैं
मेहता ने कहा कि हिन्दू धार्मिक न्यास बोर्ड के सदस्य मंदिरों में प्रवेश करते हैं और यहां तक कि अनुष्ठानों की निगरानी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि चैरिटी कमिश्नर, जो गैर-हिन्दू भी हो सकते हैं, पुजारियों को नियुक्त कर सकते हैं और उन्हें अनुष्ठान न करने या अनैतिक गतिविधियों के लिए हटा भी सकते है। SC ने भी अर्चकों की नियुक्ति को एक धर्मनिरपेक्ष गतिविधि बताते हुए इसे सही ठहराया था।
Comments (0)