सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की समान परिभाषा को स्वीकार करने वाले अपने निर्देशों को सोमवार को स्थगित कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कुछ मुद्दों पर स्पष्टता की आवश्यकता है और इसलिए समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों और पहले के निर्देशों को फिलहाल लागू नहीं किया जाएगा।
उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले की व्यापक समीक्षा के लिए विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा। समिति अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की परिभाषा सहित अन्य सहायक मुद्दों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
केंद्र सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी, ताकि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक निर्णय लिया जा सके।
पिछला फैसला और रोक के कारण
20 नवंबर के फैसले के तहत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली क्षेत्रों में नए खनन पट्टों पर रोक लगाई गई थी। अदालत ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की समिति की सिफारिशों के आधार पर अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया था।
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