


Periods Leave: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए मासिक धर्म अवकाश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। इस याचिका में अनुरोध किया गया है कि सभी राज्य छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दर्द की छुट्टी के लिए नियम स्थापित करें। इस पर CJI ने कहा कि, "ऐसी संभावना भी हो सकती है कि छुट्टी की बाध्यता होने पर लोग महिलाओं को नौकरी देने से परहेज करें।"
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में दें ज्ञापन- SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की यह मामला (Periods Leave) सरकार की नीति के दायरे में आता है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निर्णय के लिए यह मामला केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को प्रस्तुत किया जा सकता है।
Supreme Court disposed of the plea seeking state govts to frame rules for menstrual leave for female students and working-class women at their respective educational institutions and workplaces; asked the petitioner to give representation to the Centre on the plea. pic.twitter.com/qV3ZGikzLZ
— ANI (@ANI) February 24, 2023
बिहार में मिलती है Periods Leave
आपको जानकारी के लिए बता दें, कि 1992 के बाद से बिहार महिलाओं को दो दिनों की विशेष मासिक धर्म की छुट्टी प्रदान करने वाला भारत का पहला राज्य है। 1912 में, कोचीन के तत्कालीन रियासत में स्थित त्रिपुनिथुरा में सरकारी गर्ल्स स्कूल ने (वर्तमान- एर्नाकुलम जिला), छात्राओं को उनकी वार्षिक परीक्षा के दौरान 'पीरियड लीव' (Periods Leave) लेने की अनुमति दी थी।
इन देशों में भी मिलती है Periods Leave
याचिका के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम, चीन, वेल्स, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया जैसे देशों में पीरियड्स के दौरान छुट्टी की अवधि (Periods Leave) दी जाती है। इसमें कहा गया कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं और छात्राओं को कई तरह की शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
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