हिन्दू धर्म में भाद्रपद मास का महत्त्व
हिन्दू पंचांग का प्रत्येक मास न केवल एक समय खंड होता है, बल्कि वह जीवनशैली, साधना और संस्कृति की दिशा निर्धारित करने वाला अध्याय होता है। श्रावण के पश्चात आने वाला भाद्रपद मास, जिसे सामान्यतः 'भादों' कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 04 अगस्त 2025
20
0
...

हिन्दू पंचांग का प्रत्येक मास न केवल एक समय खंड होता है, बल्कि वह जीवनशैली, साधना और संस्कृति की दिशा निर्धारित करने वाला अध्याय होता है। श्रावण के पश्चात आने वाला भाद्रपद मास, जिसे सामान्यतः 'भादों' कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। यह मास वर्षा ऋतु के उत्तरार्द्ध में आता है और शास्त्रों के अनुसार, इसका वातावरण साधना, उपासना और सामाजिक समरसता के लिए अत्यंत अनुकूल होता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से भाद्रपद मास को आत्मशुद्धि, ईश्वर-स्मरण और साधना के लिए उपयुक्त समय माना गया है। इस मास में चित्त की चंचलता में गिरावट आती है और भीतर की ऊर्जा ध्यान की ओर सहजता से प्रवाहित होने लगती है। अनेक दिव्य पर्व जैसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, हरितालिका तीज, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी, भरणी अमावस्या आदि इसी मास में आते हैं, जो साधक को भगवान के सगुण और निर्गुण दोनों स्वरूपों की उपासना का अवसर प्रदान करते हैं। विशेष रूप से इस समय श्रीकृष्ण भक्ति, गणेश पूजन, शिव व्रत और मातृ शक्तियों की आराधना के माध्यम से साधक अपने कर्मों के बंधन से मुक्त होने का प्रयास करता है। जप, ध्यान, व्रत और मौन जैसे साधनों द्वारा अंतःकरण को निर्मल बनाया जाता है।

पारंपरिक दृष्टिकोण से भाद्रपद मास भारतीय धर्म-संस्कृति की जीवंत झलक है। यह मास शास्त्रों के अनुसार ऋषियों की स्मृति का काल है, जिसमें ऋषि पंचमी जैसे पर्वों के माध्यम से समाज उन ऋषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करता है जिन्होंने वेद, उपनिषद और शास्त्रों की रचना कर मानवता को धर्म का मार्ग दिखाया। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला गणेश उत्सव हजारों वर्षों से भारतवर्ष की आध्यात्मिक परंपरा में विशेष स्थान रखता है। वहीं, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व गीता के प्रवक्ता, योगेश्वर श्रीकृष्ण के जन्म की स्मृति में मनाया जाता है, जो धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। पारंपरिक अनुष्ठान जैसे व्रत-नियम, कथा-श्रवण, पूजा-अर्चना, स्नान-दान इत्यादि इस मास को अत्यंत पवित्र और शक्तिदायक बना देते हैं।

भाद्रपद मास का सामाजिक पक्ष भी उतना ही प्रभावशाली है। इस मास में जनमानस में धार्मिक भावनाओं की तीव्रता दिखाई देती है। सार्वजनिक गणेश उत्सव, सामूहिक कीर्तन, भजन मंडलियाँ, रासलीला, श्रीकृष्ण झाँकियाँ और मेलों के माध्यम से समाज में पारस्परिक सहयोग, प्रेम, भक्ति और सौहार्द की भावना उत्पन्न होती है। इन उत्सवों में सभी जाति, वर्ग, आयु और पृष्ठभूमि के लोग सम्मिलित होते हैं, जिससे सामाजिक समरसता और सामूहिक चेतना का विस्तार होता है। यह माह ग्रामीण जीवन में लोक परंपराओं को जाग्रत करता है तो शहरी जीवन में सांस्कृतिक मेल-जोल को बल प्रदान करता है। परिवारों में साथ मिलकर पूजा करना, उपवास रखना और धार्मिक आयोजन करना पारिवारिक एकता को भी मजबूत करता है।

संक्षेप में कहा जाए तो भाद्रपद मास एक ऐसा पावन अवसर है, जो जीवन को धर्म, भक्ति और संस्कृति से जोड़ता है। यह केवल पर्वों का संग्रह नहीं, बल्कि एक दिव्य संदेश है कि भक्ति, अनुशासन, त्याग और सेवा के माध्यम से हम अपने भीतर के अंधकार को दूर कर सकते हैं। यह मास हमें स्मरण कराता है कि अध्यात्म केवल मठों और मंदिरों तक सीमित नहीं, बल्कि हमारे घर, समाज और दैनिक जीवन में भी उतना ही आवश्यक और सार्थक है।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Spiritual

See all →
Sanjay Purohit
सावन की पूर्णिमा पर हरियाली से सजाए घर, भाग्य और बरकत दोनों को मिलेगा वरदान
हिंदू धर्म में सावन पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है और इस दिन पूजा-पाठ, व्रत, दान और रक्षाबंधन जैसे त्योहार मनाए जाते हैं। सावन पूर्णिमा भगवान शिव और विष्णु दोनों के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए इस दिन किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं।
63 views • 2025-08-07
Sanjay Purohit
भारतीय संस्कृति का अद्भुत पर्व: रक्षाबंधन
भारतवर्ष की संस्कृति विश्व में अपने गहन भाव-संपन्न पर्वों, आत्मीय परंपराओं और संबंधों की गरिमा के लिए जानी जाती है। इन्हीं में से एक अद्वितीय पर्व है — रक्षाबंधन। यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव है, जो भारतीय मानस की गहराइयों से उपजा है।
80 views • 2025-08-07
Sanjay Purohit
क्या आप जानते हैं राखी बांधते वक्त कितनी गांठें लगाते हैं? जानिए इसका महत्व
रक्षाबंधन का पर्व इस बार 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हंा और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
70 views • 2025-08-06
Sanjay Purohit
हिन्दू धर्म में भाद्रपद मास का महत्त्व
हिन्दू पंचांग का प्रत्येक मास न केवल एक समय खंड होता है, बल्कि वह जीवनशैली, साधना और संस्कृति की दिशा निर्धारित करने वाला अध्याय होता है। श्रावण के पश्चात आने वाला भाद्रपद मास, जिसे सामान्यतः 'भादों' कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है।
20 views • 2025-08-04
Sanjay Purohit
हरतालिका तीज 2025: श्रद्धा, तप और नारी शक्ति का दिव्य पर्व – 26 अगस्त को
हरतालिका तीज का पर्व भारतीय संस्कृति में स्त्री के आत्मबल, प्रेम, तपस्या और साधना का ऐसा प्रतीक है, जो केवल पारंपरिक धार्मिक अनुशासन नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का गहरा संदेश देता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। यह दिन विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत पुण्यदायी होता है।
41 views • 2025-08-01
Sanjay Purohit
अध्यात्म का महज़ मार्ग नहीं, एक जीवन परिवर्तन यात्रा है कैलाश-मानसरोवर
कैलाश-मानसरोवर यात्रा मात्र एक तीर्थयात्रा नहीं, यह आत्मा की पुकार है — एक ऐसा दिव्य आमंत्रण जो मनुष्य को उसकी सांसारिक सीमाओं से उठाकर अध्यात्म के अग्निपथ पर ले जाता है। यह वह मार्ग है जहाँ शरीर की थकान, मन की उथल-पुथल और जीवन के सारे झूठे दंभ छूट जाते हैं, और शेष रह जाता है केवल एक साधक — जो शिव के साक्षात् सान्निध्य की खोज में होता है।
89 views • 2025-07-31
Sanjay Purohit
गोस्वामी तुलसीदास जयंती: लोकभाषा में धर्म, भक्ति और संस्कार की पुनर्स्थापना
श्रावण शुक्ल सप्तमी, जिसे संत तुलसीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है, केवल एक महाकवि की जन्मतिथि नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक चेतना की पुनर्जागरण-तिथि है। गोस्वामी तुलसीदास न केवल एक भक्त थे, न केवल कवि थे, बल्कि वे उस युग के समाज सुधारक, धर्म पुनर्स्थापक और लोक चेतना के महान वाहक थे।
122 views • 2025-07-31
Sanjay Purohit
सावन के अंतिम सोमवार पर करें शिव की विशेष आराधना, मिलेगी महादेव की कृपा
सावन का महीना अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। हिंदू धर्म में सावन मास को भगवान शिव का अत्यंत प्रिय माना जाता है। पुराणों में भी सावन के महीने को बहुत महत्व दिया गया है। इस मास में आने वाले सोमवार विशेष फलदायी माने जाते हैं क्योंकि ये दिन भगवान शिव को समर्पित होते हैं।
142 views • 2025-07-30
Richa Gupta
नाग पंचमी आज, इस विधि से करें पूजा-अर्चना, मंत्र जाप, मिलेगा आशीर्वाद
सावन माह में पड़ने वाली नाग पंचमी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। नाग पंचमी श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है।
79 views • 2025-07-29
Sanjay Purohit
सावन के सोमवार और शिवालय: आत्मा से शिव तक की यात्रा
सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह समय केवल मौसम की ठंडक और हरियाली का ही नहीं, बल्कि आत्मा की तपस्या और भक्ति की अग्नि में तपने का भी होता है। इस माह के सोमवार—जिन्हें 'सावन सोमवार' कहा जाता है—शिव भक्ति की चरम अवस्था माने जाते हैं।
95 views • 2025-07-28
...