बरसात में मच्छरों का कहर: डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया को कैसे रोकें
वर्षा ऋतु का मौसम जहां वातावरण को शीतलता और हरियाली प्रदान करता है, वहीं यह कई प्रकार की मौसमी बीमारियों का कारण भी बनता है। खासकर मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया इस मौसम में तेजी से फैलती हैं। जुलाई से सितंबर के बीच ये रोग आमतौर पर अधिक सक्रिय रहते हैं और यदि समय रहते सावधानी न बरती जाए तो ये गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकते हैं।
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Sanjay Purohit
Created AT: 20 जुलाई 2025
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वर्षा ऋतु का मौसम जहां वातावरण को शीतलता और हरियाली प्रदान करता है, वहीं यह कई प्रकार की मौसमी बीमारियों का कारण भी बनता है। खासकर मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया इस मौसम में तेजी से फैलती हैं। जुलाई से सितंबर के बीच ये रोग आमतौर पर अधिक सक्रिय रहते हैं और यदि समय रहते सावधानी न बरती जाए तो ये गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकते हैं।

वर्षा के कारण जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, जिससे मच्छरों को पनपने का अनुकूल वातावरण मिल जाता है। गमले, कूलर, छतों की टंकियाँ, बंद नालियाँ और सड़क किनारे जमा पानी मच्छरों के अंडे देने की प्रमुख जगहें बन जाती हैं। एडीज मच्छर जो दिन में काटता है, डेंगू और चिकनगुनिया फैलाता है, जबकि एनोफिलीज मच्छर जो रात में सक्रिय होता है, मलेरिया का कारण बनता है।

डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो एडीज मच्छर के काटने से होता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते और प्लेटलेट्स की संख्या में गिरावट शामिल है। यदि समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। दूसरी ओर, मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है जो एनोफिलीज मच्छर के काटने से शरीर में प्रवेश करता है। मलेरिया में ठंड के साथ तेज बुखार, पसीना और कमजोरी होती है। यदि संक्रमण गंभीर हो तो यह मस्तिष्क, जिगर और किडनी को भी प्रभावित कर सकता है।

चिकनगुनिया भी एडीज मच्छर से फैलने वाला वायरल रोग है। इसमें तेज बुखार और जोड़ों में असहनीय दर्द होता है, जो कई बार महीनों तक बना रहता है। इसके अतिरिक्त शरीर पर लाल चकत्ते और कमजोरी जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं।

इन रोगों से बचाव के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। जलजमाव न होने देना, सप्ताह में एक बार कूलर और पानी की टंकियों को साफ करना, घर और आसपास सफाई बनाए रखना, मच्छरदानी का उपयोग करना और शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना कुछ मुख्य उपाय हैं। मच्छरों को दूर रखने के लिए नीम का धुआं, तुलसी के पौधे और मच्छर भगाने वाली क्रीमों का प्रयोग किया जा सकता है।

सरकार द्वारा हर वर्ष फॉगिंग और जनजागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन जब तक लोग स्वयं जागरूक नहीं होंगे, तब तक इन प्रयासों का पूर्ण लाभ नहीं मिल सकता। इसलिए यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति अपने घर, मोहल्ले और कार्यस्थल को मच्छर मुक्त बनाए रखने में सहयोग करे।

वर्षा ऋतु में इन बीमारियों से बचाव केवल एक स्वास्थ्य उपाय नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। थोड़ी सी सतर्कता और नियमित साफ-सफाई अपनाकर हम इन खतरनाक रोगों से खुद को और समाज को सुरक्षित रख सकते हैं। मच्छर छोटा है, पर इसकी उपेक्षा बड़े संकट को जन्म दे सकती है। इसलिए जरूरी है कि हम समय रहते सचेत हों और वर्षा ऋतु का आनंद बिना बीमारी के उठाएं।

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