


अंडमान निकोबार द्वीप समूह का भारत के लिए बड़ा सामरिक महत्व है। यही वजह है कि अब कई क्षेत्रीय बलों की भी इस क्षेत्र पर नजर है। अंडमान निकोबार कमान के कमांडर इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल दिनेश सिंह राणा ने कहा है कि कई क्षेत्रीय बल अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के सामरिक महत्व को समझते हुए इलाके में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आतंकवाद सहित किसी भी पारंपरिक या गैर-पारंपरिक खतरे को विफल करने के लिए अंडमान के द्वीपों कीचौबीसों घंटे निगरानी करने की बात कही।
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह क्यों हैं खास
कमांडर इन चीफ ने कहा कि अंडमान और निकोबार कमान अब सिर्फ द्वीपीय चौकी से आगे बढ़कर एक अहम रणनीतिक केंद्र बन गई है और जरूरत पड़ने पर यहां से सभी सैन्य विमानों की निगरानी की जा सकती है। राणा ने कहा कि कई रिसर्च जहाज हैं, जो अंडमान के निकट आसपास लगातार अपनी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि अंडमान निकोबार में बड़ी संख्या में पॉली-मेटेलिक मॉड्यूल्स पाए जाते हैं और साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र से आने वाले कई समुद्री केबल भी अंडमान निकोबार से होकर गुजरते हैं, जो दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को जोड़ते हैं।
मलक्का स्ट्रेट पर निगरानी के लिहाज से अहम
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 836 द्वीप और टापू हैं, जो उत्तर से दक्षिण तक लगभग 750 किलोमीटर तक फैले हैं। अंडमान निकोबार से मलक्का जलडमरूमध्य पर नियंत्रण रखा जा सकता है और मलक्का से ही दुनिया का 30 प्रतिशत वैश्विक व्यापार होता है। उन्होंने कहा कि एएनसी, विशेष आर्थिक क्षेत्र सहित तटीय सुरक्षा के लिए जम्मेदार है और यह कमान क्षेत्र में गंभीर गैर-पारंपरिक खतरों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें अवैध अप्रवासियों, शिकारियों और नशीली दवाओं के तस्करों की आवाजाही शामिल है।