


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से सीमा पार से बढ़ते खतरों के बीच भविष्य में देश की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना, मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा की। इस मिशन का लक्ष्य 2035 तक भारत के सभी महत्वपूर्ण स्थानों, जिनमें रणनीतिक क्षेत्र, अस्पताल, रेलवे और धार्मिक स्थल शामिल हैं, को एक अत्याधुनिक, बहु-स्तरीय वायु और मिसाइल रक्षा कवच प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह ही लक्षित सटीक कार्रवाई के लिए शक्तिशाली हथियार प्रणाली विकसित करनी चाहिए। यह स्वदेशी रक्षा कवच न सिर्फ दुश्मन के हमलों को निष्क्रिय करेगा, बल्कि जवाबी कार्रवाई करने में भी सक्षम होगा। यह दुश्मन की घुसपैठ को निष्क्रिय करेगा और भारत की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह मिशन भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है और किसी भी खतरे का तेजी से, सटीक और शक्तिशाली जवाब देने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
इन अचूक शस्त्रों से होगा आक्रामक क्षमता का विस्तार
मिशन सुदर्शन चक्र का एक महत्वपूर्ण पहलू भारत की आक्रामक क्षमता में वृद्धि है। यह संकेत देता है कि भारत अपने पारंपरिक बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के शस्त्रागार का विस्तार करेगा। इसके तहत, प्रलय नामक 500 किलोमीटर रेंज की अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल और 1,000 किलोमीटर रेंज की सबसोनिक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल को शामिल किया जाएगा। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता को 450 किमी से बढ़ाकर 800 किमी करने की भी योजना है।