


दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है जो अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। यह पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली दो प्रमुख दिन होते हैं। इन दोनों में तिथियों, पूजा विधियों और धार्मिक महत्व के आधार पर अंतर होता है।
छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी)
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता हैं, दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर 16,100 कन्याओं को मुक्त किया था। इसी कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उबटन और स्नान करने की परंपरा है, जिससे समस्त पाप समाप्त होते हैं। साथ ही यमराज की पूजा करके अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है और घर में दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध किया जाता है।
बड़ी दिवाली (लक्ष्मी पूजन)
बड़ी दिवाली, जिसे मुख्य दिवाली या लक्ष्मी पूजन भी कहते हैं, कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन भगवान रामचन्द्रजी 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे, तभी अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। इसी कारण इस दिन को दीपावली कहा जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और सरस्वती की पूजा करके घर में सुख, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति की कामना की जाती है। घर को दीपों और रंग-बिरंगी झालरों से सजाया जाता है।