सुहाग का पर्व ‘करवा चौथ’ आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं।
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Richa Gupta
Created AT: 10 अक्टूबर 2025
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करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं। इस दिन वे सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखती हैं, यानी बिना अन्न और जल के। यदि आप भी आज करवा चौथ का व्रत रख रही हैं, तो यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि।


करवा चौथ का शुभ मुहूर्त


पंचाग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरु हुई और इसका समापन आज, 10 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदया तिथि की वजह से व्रत आज ही रखा जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त शाम : 05 बजकर 57 मिनट से शाम 07 बजकर 11 मिनट तक


पूजा विधि-


  1. व्रत की शुरुआत: सरगी
  2. समय: ब्रह्म मुहूर्त में, सूर्योदय से पहले
  3. क्या करें: सास द्वारा दी गई सरगी (पौष्टिक भोजन) ग्रहण करें
  4. महत्व: यह ऊर्जा बनाए रखने में मदद करता है, क्योंकि दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है


व्रत का आरंभ

  1. समय: सूर्योदय के साथ
  2. व्रत प्रकार: निर्जला (बिना अन्न और जल)


शाम की पूजा विधि

  1. श्रृंगार: सोलह श्रृंगार करके तैयार हों
  2. स्थापना: पूजा स्थल पर भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की प्रतिमा या तस्वीर रखें
  3. करवा: मिट्टी का करवा लें, उसमें जल और सिक्का डालें, लाल कपड़े से ढकें
  4. पूजन: सभी देवताओं का आह्वान करें और विधिपूर्वक पूजा करें


पूजा सामग्री

  1. पूजा थाली में रखें:
  2. श्रृंगार सामग्री
  3. मिठाई

फल


कथा और आरती

  1. कथा: सामूहिक रूप से करवा चौथ की कथा सुनें
  2. आरती: सभी देवताओं की आरती करें


चंद्रोदय के बाद की विधि

  1. दर्शन: छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा के दर्शन करें
  2. अर्घ्य: चंद्रमा को जल अर्पित करें
  3. प्रार्थना: पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना करें
  4. पति दर्शन: उसी छलनी से पति का चेहरा देखें
  5. आशीर्वाद: पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें


व्रत पारण

  1. व्रत खोलना: पति के हाथों से जल और मिठाई ग्रहण करें
  2. बड़ों का सम्मान: घर के बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना न भूलें।



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