फुलेरा के बिना अधूरा है हरतालिका तीज का व्रत, जानिए इसका पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व
तीज व्रत में पूजा की हर सामग्री का अपना खास महत्व होता है. चाहे हरितालिका तीज हो या फिर अन्य तीज पर्व, व्रतधारिणी महिलाएं बड़ी श्रद्धा और नियम से पूजन करती हैं।
Img Banner
profile
Richa Gupta
Created AT: 11 hours ago
65
0
...

तीज व्रत में पूजा की हर सामग्री का अपना खास महत्व होता है. चाहे हरितालिका तीज हो या फिर अन्य तीज पर्व, व्रतधारिणी महिलाएं बड़ी श्रद्धा और नियम से पूजन करती हैं। इन्हीं पूजन सामग्री और परंपराओं में एक अहम हिस्सा है फुलेरा, जिसके बिना तीज की पूजा अधूरी मानी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि फुलेरा होता क्या है और आखिर क्यों इसे इतना पवित्र माना गया है?हरतालिका तीज में फुलेरा केवल सजावट नहीं बल्कि आस्था और पवित्रता का केंद्र है। यह शिव-पार्वती की उपस्थिति का प्रतीक है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति का माध्यम है। यही कारण है कि इसे व्रत की आत्मा कहा गया है। बिना फुलेरा बांधे न तो मंडप सजता है और न ही तीज की पूजा पूर्ण होती है। इस तरह, फुलेरा केवल फूलों का मंडप नहीं बल्कि वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और दांपत्य सौभाग्य का दिव्य प्रतीक है. यही कारण है कि पीढ़ियों से महिलाएं इसे बड़े मनोयोग से बनाती और सजाती आ रही हैं। व्रत की सच्ची पूर्णता तभी मानी जाती है जब फुलेरा स्थापित करके गौरी-शंकर का पूजन किया जाए।


क्या होता है फुलेरा?


फुलेरा (जिसे कुछ स्थानों पर फुलहरा भी कहा जाता है) दरअसल फूलों, पत्तियों और बांस से तैयार की गई पांच मालाओं वाली एक विशेष माला या झूला होती है, जिसे भगवान शिव और माता पार्वती के विग्रह या मंडप में बांधा जाता है। यह पूजा का एक अत्यंत शुभ प्रतीक होता है।


फुलेरा का पौराणिक महत्व


पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया, तब उन्होंने जंगल में उपलब्ध फूलों और वनस्पतियों से फुलेरा बनाया और शिवजी की आराधना की। तब से यह परंपरा चली आ रही है।


पांच मालाओं का रहस्य


फुलेरा की पाँच मालाएँ भगवान शिव की पाँच पुत्रियों — जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली — का प्रतीक मानी जाती हैं। यह पूजा में संपूर्णता और सामूहिक शक्ति का प्रतीक है।


पूजा में इसका स्थान


हरतालिका तीज की पूजा में शिव-पार्वती की प्रतिमा के सामने फुलेरा बाँधा जाता है। जलधारी की जगह इस झूलेनुमा फुलेरे से ही आचमन और समर्पण किया जाता है। इसे बांधने से घर में सुख, समृद्धि और वैवाहिक सौहार्द का वास होता है।


क्या होता है यदि फुलेरा न हो?


मान्यता है कि बिना फुलेरे के पूजा करने से व्रत अधूरा रह जाता है और व्रती को पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरों तक हरतालिका तीज व्रत में फुलेरा की अनिवार्यता बनी हुई है।


फुलेरा के लाभ


  1. वैवाहिक जीवन में सौहार्द और समर्पण बढ़ाता है
  2. संतान प्राप्ति और घर की सुख-शांति के लिए फलदायी
  3. पुण्यफल में वृद्धि और शिव-पार्वती का आशीर्वाद
  4. पर्यावरण से जुड़ाव और प्राकृतिक साधनों की पूजा


फुलेरा बनता है इन चीजों से:


  1. गेंदा, कमल, गुलाब, काश और त्यूड़ी के फूल
  2. बांस की पतली डंडियाँ
  3. हरी पत्तियाँ व जड़ी-बूटियाँ
  4. कलात्मक रंगीन धागे।


ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Spiritual

See all →
Sanjay Purohit
हरितालिका तीज: परिवार की सुख-समृद्धि की कामना का उत्सव
समझ और स्नेह का मेल लिए सामुदायिक जुड़ाव को पोसने वाले व्रत-त्योहार आज और प्रासंगिक हो चले हैं। आपाधापी भरी आज की जिंदगी में परम्परा और प्रेम को सहेजने वाले उत्सव रिश्तों में अपनेपन से सींचने के सुंदर अवसर बन गए हैं। हरतालिका तीज का पर्व भी सौभाग्य की चाह और स्नेह के धागों के सदा गुंथे रहने की कामना लिए है।
57 views • 4 hours ago
Sanjay Purohit
गणेश चतुर्थी : चित्रा नक्षत्र, शुभ शुक्ल योग में होगी भगवान श्रीगणेश की स्थापना
भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी पर आने वाला गणेश उत्सव इस बार विशेष संयोग लेकर आ रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष भगवान श्रीगणेश की स्थापना चित्रा नक्षत्र और शुभ शुक्ल योग में होगी, जो कि अत्यंत मंगलकारी माना गया है।
69 views • 6 hours ago
Richa Gupta
फुलेरा के बिना अधूरा है हरतालिका तीज का व्रत, जानिए इसका पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व
तीज व्रत में पूजा की हर सामग्री का अपना खास महत्व होता है. चाहे हरितालिका तीज हो या फिर अन्य तीज पर्व, व्रतधारिणी महिलाएं बड़ी श्रद्धा और नियम से पूजन करती हैं।
65 views • 11 hours ago
Sanjay Purohit
पितृपक्ष 2025: पूर्वजों के आशीर्वाद का पखवाड़ा
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष का शुभारंभ होता है और यह अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025, सर्वपितृ अमावस्या पर होगा। माना जाता है कि इन पंद्रह दिनों में श्रद्धापूर्वक श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और घर-परिवार पर आशीर्वाद बना रहता है।
100 views • 2025-08-22
Richa Gupta
अनंत सूत्र बांधने से मिलता है भगवान विष्णु का आशीर्वाद, जानें विधि और व्रत कथा
अनंत चतुर्दशी हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन अनंत सूत्र बांधने की परंपरा होती है।
56 views • 2025-08-20
Sanjay Purohit
गणपति बप्पा की मूर्ति घर लाते समय न करें ये गलतिया
गणेश चतुर्थी का त्योहार भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भक्त घरों में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं। लेकिन मूर्ति लेते समय वास्तुशास्त्र के नियमों का ध्यान रखना जरूरी माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
112 views • 2025-08-20
Sanjay Purohit
चंद्रग्रहण से पितृपक्ष का आरंभ, भारत में भी होगा दृश्य
चंद्रग्रहण भारत में जल्द ही लगने जा रहा है। साल 2025 का दूसरा और हिंदू संवत का पहला चंद्रग्रहण पितृपक्ष के दिन लगने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण पूर्ण होगा यानी चंद्रमा इस दिन पूरी तरह से ढ़क जाएगा।
97 views • 2025-08-19
Sanjay Purohit
राधाष्टमी 2025: जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
राधा अष्टमी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है जिसे राधा जी के प्राकट्य के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने, राधा-कृष्ण की पूजा और स्तुति करने का बड़ा महत्व है। राधा अष्टमी पर व्रत रखने से दुखों का नाश होता है और घर में सुख शांति आती है।
114 views • 2025-08-19
Sanjay Purohit
गणेश: कालजयी सनातन संस्कृति के संवाहक
भारत की सनातन संस्कृति में यदि किसी देवता को सहजता, अपनापन और निकटता का प्रतीक माना जाए तो वह विघ्नहर्ता श्री गणेश हैं। हर शुभ कार्य से पहले उनका स्मरण केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का संदेश है—“आरंभ शुभ हो, पथ सरल हो और बुद्धि निर्मल हो।” यही कारण है कि गणेश केवल पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के ऐसे संवाहक हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवन को दिशा देते आए हैं।
80 views • 2025-08-19
Richa Gupta
इस मुहूर्त में करें अजा एकादशी व्रत का पारण, हर दोष का होगा निर्वाण
अजा एकादशी व्रत का पारण इस विशेष मुहूर्त में करना अत्यंत शुभ माना गया है। सही समय पर पारण करने से पापों का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
82 views • 2025-08-19
...