


भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी पर आने वाला गणेश उत्सव इस बार विशेष संयोग लेकर आ रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष भगवान श्रीगणेश की स्थापना चित्रा नक्षत्र और शुभ शुक्ल योग में होगी, जो कि अत्यंत मंगलकारी माना गया है। माना जाता है कि ऐसे संयोग में की गई पूजा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है और विघ्न-बाधाएं स्वतः दूर हो जाती हैं।
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा का आगमन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष होता है। देशभर में छोटे-बड़े पंडालों में भव्य प्रतिमाएं विराजित की जाएंगी। ढोल-नगाड़ों और मंगलध्वनियों के बीच भक्त अपने आराध्य को घर-घर बुलाएँगे। शास्त्रों में भी कहा गया है कि इस तिथि पर विघ्नहर्ता की साधना करने से जीवन की राहें सरल होती हैं और नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चित्रा नक्षत्र में गणेश स्थापना करने से साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। इस योग में की गई पूजा से धन, बुद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। इसलिए श्रद्धालु इस बार खासतौर पर शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए गणपति बप्पा को अपने घरों में आमंत्रित करेंगे।
गणेश उत्सव केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि समाज को एकता और सद्भाव का संदेश देने वाला भी है। आने वाले दस दिनों तक भक्तों के बीच भक्ति, उल्लास और संस्कृति का अनूठा संगम दिखाई देगा। सच ही कहा गया है—“गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया”—जब विघ्नहर्ता स्वयं घर-घर पधारते हैं तो हर दिशा में सकारात्मकता और शुभता का संचार होता है।