


भारत ने अपने हवाई सुरक्षा तंत्र को और अजेय बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ एयर डिफेंस सिस्टम तीनों सेनाओं के विशाल और संयुक्त प्रयासों से ही संभव होगा।
उन्होंने बताया कि यह परियोजना इस्राइल के आयरन डोम जैसी होगी, जिसे दुनिया में सबसे भरोसेमंद मिसाइल शील्ड माना जाता है। इसका लक्ष्य भारत की अहम सैन्य और नागरिक स्थापनाओं को किसी भी हवाई या मिसाइल हमले से बचाना है। आर्मी वॉर कॉलेज, मऊ में आयोजित ‘रण संवाद’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि थल, जल और वायु सेना को मिलकर काम करना होगा। मिसाइल और निगरानी प्रणालियों का नेटवर्क खड़ा करना होगा। ग्राउंड, एयर, समुद्री, पनडुब्बी और अंतरिक्ष सेंसर को इंटीग्रेट करना होगा। उन्होंने कहा कि एक विशाल स्तर का एकीकरण होगा और अनेक डोमेनों को जोड़ना पड़ेगा, तभी एक सटीक और वास्तविक तस्वीर बन पाएगी।
एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी का प्रयोग
सीडीएस ने यह भी संकेत दिया कि इस परियोजना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, एडवांस कंप्यूटेशन और डीप डेटा एनालिटिक्स जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का समावेश किया जाएगा।
क्यों अहम है यह प्रोजेक्ट?
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को ‘सुदर्शन चक्र’ की घोषणा पाकिस्तान और चीन से बढ़ते सुरक्षा खतरों की पृष्ठभूमि में की थी। हाल ही में पाकिस्तान सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने भारत की अहम स्थापनाओं, यहां तक कि गुजरात की जामनगर रिफाइनरी को निशाना बनाने की धमकी दी थी। ऐसे में यह शील्ड भारत को निर्णायक जवाब देने की क्षमता देगा।
सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे और वे समापन सत्र में संबोधन देंगे। इसी दौरान कुछ संयुक्त सैन्य सिद्धांत और तकनीकी क्षमता रोडमैप भी जारी किए जाएंगे। इस सम्मेलन की खासियत यह है कि प्रत्येक सत्र में सेवा में कार्यरत अधिकारी अपने ऑपरेशनल अनुभव और आधुनिक युद्धक्षेत्र से मिले सबक साझा कर रहे हैं। ‘सुदर्शन चक्र’ को चरणबद्ध तरीके से विकसित कर 2035 तक लागू करने की योजना है। इसे पूरा होने पर भारत का रणनीतिक कवच और मजबूत होगा और देश की सुरक्षा में नया अध्याय जुड़ जाएगा।