


मध्यप्रदेश की सियासत में कांग्रेस नेता जीतू पटवारी का एक बयान भारी विवाद का कारण बन गया है। पटवारी ने हाल ही में दावा किया कि देश में सबसे अधिक शराब का सेवन मध्यप्रदेश की महिलाएं कर रही हैं। इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कांग्रेस से इसका स्पष्टीकरण मांगा है।
रामेश्वर शर्मा का पलटवार: "बहन-बेटियों का अपमान"
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने जीतू पटवारी के इस बयान को मध्यप्रदेश की बहन-बेटियों का सीधा अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि, हरतालिका तीज जैसे पवित्र पर्व पर, जब महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, उस दिन महिलाओं को शराबी कहना उनकी श्रद्धा और तपस्या का अपमान है। रामेश्वर शर्मा ने पटवारी से माफी की मांग करते हुए कहा कि यह बयान न केवल असंवेदनशील है बल्कि **प्रदेश की संस्कृति और संस्कारों पर चोट है।
कांग्रेस नेतृत्व से भी सवाल: सोनिया और प्रियंका से हस्तक्षेप की मांग
बीजेपी ने केवल जीतू पटवारी पर ही नहीं, बल्कि कांग्रेस नेतृत्व पर भी सवाल उठाए हैं। रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से अपील की है कि वे इस बयान पर संज्ञान लें और पटवारी को अनुशासन में लाएं। उन्होंने कहा - क्या कांग्रेस का यही दृष्टिकोण है महिलाओं को लेकर? प्रियंका गांधी खुद 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' जैसे अभियान चलाती हैं, क्या वे इस बयान का समर्थन करती हैं?
बयान का संदर्भ क्या है?
जीतू पटवारी के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उन्होंने यह बात किस आधार पर कही — क्या यह किसी रिपोर्ट या आंकड़े पर आधारित था, या सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी थी। विपक्ष का आरोप है कि पटवारी का यह बयान महिलाओं की छवि को धूमिल करता है और यह बयान चुनावी लाभ के लिए उछाला गया मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक सवाल* है।
कांग्रेस की चुप्पी, सफाई का इंतजार
अब तक कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही जीतू पटवारी ने अपने बयान को लेकर कोई सफाई या माफी दी है। इससे यह विवाद और भी गहराता जा रहा है।
यह विवाद सिर्फ एक बयान भर नहीं है, बल्कि यह इस बात की परीक्षा है कि हमारे नेता कितनी संवेदनशीलता के साथ सामाजिक मुद्दों को उठाते हैं। क्या राजनीति के नाम पर किसी भी वर्ग — विशेषकर महिलाओं — का सामूहिक चरित्र चित्रण उचित है? यह सवाल आज हर नागरिक के सामने है।